अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: ईमानदारी पूर्वक सामाजिक कार्य करने वाला इंसान ही समाज की असली सच्चाई को जान पाता है। विज्ञान और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में परचम लहराने वाले हमारे देश में लोगों की मनोदशा, उनका सामाजिक सोच कमोबेश यही है जो आज से दो-तीन दशक पहले हुआ करता था। दरअसल, आज भी ज्यादातर लोग दूसरे की योग्यता, उसकी मेहनत, निस्वार्थ प्रेम की कीमत नहीं समझ पाते। यही कारण है कि समाज में व्यापक बदलाव नहीं हो रहा, संसाधन सम्पन्न समाज आर्थिक-सामाजिक असमानता का शिकार है। पर आज भी कुछ ऐसे लोग है जो दूसरों की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं भले ही समाज उनकी महत्ता नहीं समझ पाए।
आपको जानकर हर्ष होगा कि राजधानी दिल्ली में रहने वाले डॉ. संदीप सक्सेना जो पिछले कुछ वर्षो से फरीदाबाद में रह रहे हैं और उन्होंने अपनी अच्छी खासी विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर के करियर को छोड़ कर गरीब तबकों के बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया है। वो न सिर्फ इन बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि उन सबको जीवन मूल्यों से भी अवगत करवाने की पहल भी कर रहे हैं। ये दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मां-बाप या बेरोजगार मजदूरों के बच्चों को शिक्षित तो कर ही रहे हैं बल्कि साथ साथ उन्हें भविष्य में रोजगार मिल सके इस दृष्टिकोण से भी तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं।
डॉ. संदीप को शिक्षा जगत में कार्य करने का लगभग दो दशकों से ज्यादा का अनुभव है। वित्य शिक्षा के प्रति बच्चों में जागरूकता फैलाने के लिए SUASHA Foundation के आधीन मिशन 2025 प्रोग्राम का नेतृत्व करना आरंभ किया। गौरतलब बात यह है कि उन्होंने देश भर के कई स्कूलों को इस प्रोग्राम से जोड़ा कर वित्त शिक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक किया है। इस तरह की वित्य शिक्षा का कार्य वर्ष 2012 से आरंभ किया जा चुका है!
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