अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने कहा कि साथियों, आज हमारे देश के सामने, आज सुबह-सुबह हकीकत जनता के सामने देखने को मिली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार अगर आप तिमाही आंकड़े के अनुसार अर्थव्यवस्था का मापदंड लेते हैं, तो पहली बार जीडीपी वृद्धि दर घट नहीं रही है, बल्कि पहली बार जीडीपी खुद घट रही है। दो तिमाही, यानि के इस वित्तीय साल के 6 महीने में जीडीपी वृद्धि दर घटी नहीं है, जीडीपी खुद घटी है, सकल घरेलू उत्पाद घटा है। वृद्धि दर घटना एक बात है, पर जीडीपी खुद घटना एक अलग बात है। तो पहली बार रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मेरे शब्द नहीं है, ये रिजर्व बैंक के शब्द हैं, एक औपचारिक वक्तव्य है, उनके एक अध्ययन के अनुसार यह कहा गया है कि पहली बार भारत में तिमाही आंकड़े के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था यानि कि इंडियन इकॉनमी रिसेशन में हैं, जीडीपी घट रही है और ये बहुत चिंता की बात है।इसके साथ-साथ इस गंभीर समाचार को छुपाने के लिए, हैडलाइन मैनेजमेंट के लिए एक और धूम-धमाका, ‘आत्मनिर्भर 3.0’ की आज वित्त मंत्री ने घोषणा की है। इसका क्या असर होगा? वक्त ही बता पाएगा।
बहुत से आंकड़े दिए गए हैं पर असली बात जो ये है कि 2020-21, ये पूरा वित्तीय साल एक गुजरा साल हो गया है। ये इस साल जीडीपी वृद्धि दर घटेगी नहीं, जीडीपी खुद घटेगी और अगले साल यानि के 2021-22 में क्या होगा, अभी अनुमान लगाना मैं समझता हूँ, अभी वक्त है। हम उम्मीद करते हैं कि सकारात्मक रुझान सामने देखने में आएं। पर आज के हालात जो हैं, मैं समझता हूँ, चिंता का विषय है, कोई विश्वास नहीं दिलाता कि अर्थव्यवस्था में कोई जल्द से जल्द सुधार आने वाला है। सबसे बड़ी बात ये है कि राज्यों की वित्तीय स्थिति और नाजुक होने वाली है।तीन दिन पहले 15वीं वित्तीय आयोग, फाइनेंस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को पेश की है और जो हमें जानकारी मिली है कि इस रिपोर्ट की सिफारिश, जब पार्लियामेंट में पेश होगा, अगले साल बजट के संदर्भ में, राज्यों की वित्तीय स्थिति पर इसका बहुत नकारात्मक असर होगा और अगर राज्यों की वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं आएगा, मैं समझता हूँ,
हमारी अर्थव्यवस्था में कोई सुधार आने की कोई गुंजाइश नहीं है। आप कितनी भी घोषणाएं करते जाइए पर राज्यों की वित्तीय स्थिति में अगर आप सुधार नहीं लाएंगे और उसमें केन्द्र सरकार की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, अगर वो आप जिम्मेदारी से भागने वाले हैं, जैसा कि ये सरकार पिछले एक साल से कर रही है, मैं समझता हूँ कि आर्थिक व्यवस्था में सुधार लाने की कोई गुंजाइश नहीं है।जो घोषणाएं की गई हैं आज, बहुत मोटी-मोटी घोषणाएं की गई हैं। जैसा कि मैंने कहा उद्योग पर, व्यापार पर, खासतौर से लघु एमएसएमई क्षेत्र पर इसका क्या असर होगा ,ये वक्त ही बता पाएगा, पर ये एक प्रयास किया गया आज वित्त मंत्री के द्वारा, जो रिजर्व बैंक का जो विश्लेषण था इस साल के बारे में, रिसेशन के बारे में, आर्थिक मंदी के बारे में, उसको दबाने के लिए एक बहुत बड़ा दिवाली धमाका ‘आत्मनिर्भर 3.0’ पैकेज जनता के सामने रखा गया। मैं समझता हूँ
इससे ज्यादा कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। 2020-21 तो साल चला गया, अगले साल क्या होगा, वक्त ही बता पाएगा, आज हम नहीं कह सकते, पर जो मूल समस्याएं हैं, किसान से संबंधित समस्या, एमएसएमई से भी संबंधित समस्याएं और खासतौर से राज्यों की वित्तीय स्थिति से संबंधित समस्याओं पर मैं समझता हूँ केन्द्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है और इसका नतीजा और भी गंभीर पड़ेगा हमारे देश को।एक प्रश्न पर कि सरकार ने जो आप कह रहे हैं, आत्मनिर्भर पैकेज जो आज अनाउंस किया उससे कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है। सरकार के दावों को अगर आप खारिज कर रहे हैं, तो आप किस बात को आधार मान रहे हैं, श्री जयराम रमेश ने कहा कि पैकेज घोषणा करना एक बात है। पैकेज का इंप्लीमेंटेशन, कैसे इंप्लीमेंटेशन होगा, वो अलग बात है। ये बात सही है कि कई औद्योगिक क्षेत्रों में प्रोत्साहन की ज़रुरत थी, मांग थी, पिछले 3-4 महीने से मांग हो रही थी, सरकार चुप थी, अचानक आज क्योंकि रिजर्व बैंक ने रिसेशन की बात की है, अचानक कुंभकरण के माफिक नींद से उठकर एक ‘आत्मनिर्भर 3.0’ पैकेज की घोषणा की है। मैं समझता हूँ इस पैकेज के जो कई मुद्दे हैं, ये 3-4 महीने पहले किए जाने की आवश्यकता थी और बड़ी-बड़ी बातें, राज्यों से संबंधित बातें, उन पर तो ज्यादा जिक्र नहीं किया गया है।