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गुडगाँव

हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान(हिपा) में दो सप्ताह के आईटेक कार्यक्रम का हुआ आगाज।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) गुरुग्राम में आज से ‘सतत विकास के लिए शहरी और ग्रामीण योजना में प्राचीन प्रौद्योगिकी के पहलुओं को शामिल करना- हरियाणा से उदाहरण‘ विषय पर पहला फिजिकल भारतीय तकनीक एवं आर्थिक सहयोग (आईटेक) कार्यक्रम शुरू किया गया । इस कार्यक्रम का शुभारंभ हरियाणा के मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी ने दीप प्रज्वलित करते हुए किया। दो सप्ताह अर्थात् 15 नवंबर तक चलने वाला यह आईटेक कार्यक्रम विदेश मंत्रालय (एमईए), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन के साथ ही हिपा , जोकि हरियाणा सरकार का एक प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान है,  अब अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन के लिए मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में पहचान बना चुका है।

इस कार्यक्रम में 6 देशों के प्रतिनिधि नामतः मलावी, मालदीव, मॉरीशस, सुडान ताजिकिस्तान और इराक भाग ले रहे हैं। सुडान के राजदूत अब्दुल्ला ओमर बशीर, ताजिकिस्तान के राजदूत लुकमान बोबोकलोंजोडा, भारत में मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहिम शाहीब और भारत में मॉरीशस के उच्चायुक्त सीडी‘ ए जेयसन कोवालेन रामास्वामी भी उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे। इस दौरान उन सभी ने अपना परिचय देते हुए कहा कि वे इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहली बार हरियाणा आए हैं। उन्होंने महसूस किया कि यह कार्यक्रम भारत के साथ साथ इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागी देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझने और सांझा करने में मददगार सिद्ध होगा,  जिससे ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा। सभी प्रतिभागियों द्वारा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पुरातत्व महत्व के प्रसिद्ध स्थलों जैसे- लाल किला, पुराना किला, हुमायूं का मकबरा, दिल्ली में कुतुब मिनार ,गुरुग्राम में सुल्तानपुर पक्षी अभ्यारण्य, कुरूक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर, ज्योतिसर (पवित्र गीता का जन्म स्थान), धरोहर संग्रहालय, पंचकुला में पिंजौर गार्डन, सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़, आगरा, ताजमहल आदि प्रसिद्ध स्थलों का अध्ययन दौरा करेंगे।

अपने उद्घाटन संबोधन में हरियाणा के मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी ने हरियाणा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर देश की अपनी संस्कृति और विरासत में कुछ अनूठापन होता है, जिससे कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की योजना बनाते समय यहां पाए गए पुरातत्व महत्व के स्थलों से पहलुओं को भी शामिल किया गया है। हरियाणा व पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को एक फ्रांसीसी वास्तुकार ली कॉर्बूसियर द्वारा डिजाइन किया गया था । उन्होंने इसे डिजाइन करते हुए प्राचीन भारतीय वास्तुकला से लेकर शास्त्रीय पुरातात्विक सौंदर्यशास्त्र जैसे- संकीर्ण अग्रभागों(नेरो फ्रंट) का उपयोग करना,सूर्य के सीधे संपर्क को कम करने और प्राकृतिक वेंटिलेशन को अधिकतम करने के लिए अनुस्थापन अर्थात् ओरिएंटेशन का उपयोग करना आदि शामिल किया था जोकि अंतरराष्ट्रीय शैली और सौंदर्यशास्त्र के साथ आधुनिक सुविधाएं प्रदान कर रहा है। चंडीगढ़ वास्तुकला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीयकरण का प्रतिनिधित्व करता है। इसी प्रकार, हरियाणा में ऐसे स्थल भी हैं जो मानव इतिहास में विशेष स्थान रखते हैं। दिल्ली से लगभग 160 किलोमीटर दूर कुनाल नामक एक स्थान है, जो हिसार के सबसे पुराने पुरातत्व स्थलों में से एक है, इसके प्रथम चरण में निकली वस्तुएं तथा ढांचे 5000 बीसीई और 4000 बीसीई के समय के हैं। इस साइट की संस्कृति हड़प्पा से पहले की एक पुरानी वंशावली है, जो 3300 ईसा पूर्व की है। ढेसी ने कहा कि हिसार में राखीगढ़ी भी 2600 से 1900 ईसा पूर्व की संस्कृति को प्रदर्शित करती है, जिसकी खुदाई में अब तक शहरी विकास के पहलु सामने आए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस दो सप्ताह के कार्यक्रम में विशेषज्ञों से विचार-विमर्श से प्रतिभागियों में नई सोच के द्वार खुल जाएंगे जिनका प्रयोग वे अपने देश में जाकर अर्बन प्लानिंग में कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय बेहतर शासन की ओर ले जाने वाले कोर्स तैयार करता है जिनसे देश के नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके और लोगों का जीवन सरल बनाया जा सके।  इससे पहले, विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री प्रभात कुमार ने कहा कि हिपा में दो सप्ताह का कोर्स भारत के विकास के सभी चरणों की खोज करने वाला एक बहुत अच्छी तरह से डिजाइन किया गया कोर्स है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में प्राचीन विरासत की झलक मिलेगी जबकि दिल्ली में प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत के दर्शन होंगे और प्रतिभागी यह देख पाएंगे कि किस प्रकार इसे आधुनिक वास्तुकला के साथ समायोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय पुरातत्व स्थलों की मरम्मत करवाकर जीर्णोद्धार कर रहा है। अफगानिस्तान में भी इस प्रकार के स्थलों की मरम्मत की गई है जबकि वियतनाम, लाओस और मालदीव में साइटों पर यह कार्य प्रगति पर है। कोर्स निदेशक पूर्व राजदूत डॉ खेया भट्टाचार्य (सेवानिवृत्त) ने प्रतिभागियों को दो सप्ताह के कोर्स की संरचना और वक्ताओं के नाम तथा उन द्वारा विभिन्न विषयों पर किए जाने विचार-विमर्श के बारे में अवगत करवाया। इस मौके पर हिपा की महानिदेशक श्रीमती सुरीना राजन ने प्रतिभागियों और अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान में की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

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