अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने कहा कि भले ही तकनीक, नवाचार और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में हमारे विश्वविद्यालय वैशविक स्तर पर अत्यंत आधुनिक हो गए हैं, परंतु सांस्कृतिक तौर पर हमारे मूल्यों के मूल में भारतीय तत्व ही होने चाहिए।राज्यपाल आज राजभवन में निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिवों की एक दिवसीय बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उच्चतर शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा, उच्चतर शिक्षा के सलाहाकार श्री बृजकिशोर व चेयरमैन उच्चतर शिक्षा परिषद श्री बी के कुठियाला, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहाकार श्री भारत भूषण भारती, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी एस ढेसी, मुख्य सचिव संजीव कौशल, राज्यपाल के सचिव अतुल द्विवेदी सहित राज्य के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिव भी मौजूद रहे।
राज्यपाल ने कहा कि जो भी समाज अपने मूल को छोड़ देता है उसकी पहचान नहीं रहती। हमे अपने जीवन मूल्यों को मजबूती के साथ युवा विद्यार्थियों के मस्तिष्क पटल पर रखना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपतियों व कुलसचिवों के साथ हुई इस दो दिवसीय बैठक का उद्देश्य नई शिक्षा नीति को तेजी से अमल में लाना है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने इसे पूरा करने के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है, परंतु हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में इसे 2025 तक पूरा करने के लिए कृतसंकल्प हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति समाज के लिए गेम चैंजर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े गहन विचार-विमर्श के बाद इसे लागू किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश की शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनयादी सुविधाओं सहित सभी क्षेत्रों में केवल सरकार के संस्थानों द्वारा ही प्रगति नहीं की जा सकती अपितु इसमें निजी संस्थाओं को भी कन्धे से कन्धा मिलाकर समाज का सहयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आज निजी विश्वविद्यालय बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और आज हमें निजी विश्वविद्यालयों की कार्यवाही से रू-ब-रू होने का अवसर प्राप्त हो रहा है। चाहे निजी विश्वविद्यालय हों या सरकारी, सभी का कार्य नौजवानों को रोजगारोन्मुखी, संस्कारवान शिक्षा प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करना ही अत्यंत आवश्यक है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षकों को भी गुणवान करना होगा। उनके लिए प्रशिक्षण कोर्सिस आयोजित करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा परिषद एकेडमिक लीडरशिप के लिए लगातार कार्यशालाएं आयोजित कर रही हैं। दत्तात्रेय ने कहा कि कोविड महामारी के समय में शैक्षणिक संस्थानों और विशेषकर निजी विश्वविद्यालयों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा, परंतु आपने उसे दुबारा सफलतापूर्वक खड़ा कर दिया। इससे आपके संकल्पों का पता चलता है। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों में कौशल विकास की भावना विकसित करना आज के युग में अति महत्वपूर्ण है। इसके लिए उच्च शिक्षा परिषद ने जो अल्पकालीन सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्सिस तैयार करवाकर विश्वविद्यालयों के साथ साझा कर रही है। यह एक सराहनीय कार्य है और इस पर तत्परता से कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार और हरियाणा सरकार नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं और हरियाणा सरकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था करने जा रही है। निजी विश्वविद्यालयों को भी इस दिशा में आगे आकर मितव्ययी मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था में कदम उठाना चाहिए।दत्तात्रेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत समानता, न्याय, बंधुत्व, समान शिक्षा-सबको शिक्षा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ही इस महान कायापलट के वाहक होंगे।
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