अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली (‘राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट’)
कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा-हम लोगों को ऐसा लगता था कि ये भारत की संस्कृति हमारी आस्था से जुड़ी बात है। लूटने की बात भगवान राम के जो पर्याय हैं, उनकी थी। भगवान राम मर्यादा का नाम हैं, भगवान राम न्याय का नाम हैं, नैतिकता का नाम है, धर्म का नाम है, प्रेम का नाम है। हम लोगों को लगता था, बचपन से आज तक सुना कि राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट। उनके मूल्यों को लूटने की बात थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लोगों को लगा कि ये चंदा चोरी अपनी तिजोरी भरने,जमीनों की धांधली करने और राम के नाम पर जितना लोगों को लूट सकते हैं, उस लूट का नाम है। साँच को आंच नहीं और भाजपाईयों ने मचा राखी है राम नाम कि लूट पर भगवान राम के नाम पर ज़मीनों का घोटाला और धांधली नहीं चलेगी।
आखिर जिस बात को हमने कहा, थक हार कर उत्तर प्रदेश सरकार के अयोध्या विकास प्राधिकरण को भी मानना पड़ा। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नाम पर अवैध ज़मीन खरीदने बेचने के घोटाले में 40 लोगों की सूची जारी हुई है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, पूर्व विधायक गोरखनाथ के नाम भी शामिल हैं। इस ज़मीन घोटाले में न केवल भाजपा के विधायक और नेताओं ने लूट मचाई हुई है बल्कि नौकरशाहों और उनके रिश्तेदार, यहां तक कि स्थानीय राजस्व अधिकारियों, जिनका काम भूमि लेनदेन को प्रमाणित करना होता है – ने भी जमीनें खरीदी हैं।
इस मंदिर के निर्माण के लिए भगवान् राम में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति ने अपने सामर्थ्य के अनुसार चंदा दिया और अब पता चल रहा है की उस चंदे कि भाजपा नेता ने लूट मचाई हुई है। अगर यह इस देश की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं है तो और क्या है?
इसमें तीन बड़े पहलु हैं
· चंदा चोर भाजपा नेताओं ने कौड़ियों के दाम ज़मीन खरीद कर महंगे दाम पर ट्रस्ट को बेचीं
· श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तो करीब 70 एकड़ भूमि ली है, पर भाजपा नेताओं ने इसके आस-पास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मुनाफाखोरी के लिए जमीन खरीदी है
· दलितों की जमीन, जो खरीदी नहीं जा सकती थी, वो हड़पी गई है। महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की बेचीं हुई जमीन, दलितों से जमीन खरीदते वक्त अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है (और जांच भी वही अधिकारी कर रहे हैं, जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी है)
संत समाज ने लगाए घोटाले के आरोप
· यह धांधली का मामला सिर्फ हमने या अन्य विपक्षी पार्टियों ने ही नहीं बल्कि अगस्त 2021 में अयोध्या के एक महंत ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों, एक भाजपा विधायक, स्थानीय महापौर के भतीजे और एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ सरकारी जमीन खरीदने में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी
· अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत धर्म दास ने राम मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित धन का दुरुपयोग कर लोगों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए ट्रस्ट के सदस्य चंपत राय को तत्काल बर्खास्त करने की भी मांग तो की ही थी, उन्होंने ट्रस्ट के सभी सदस्यों के अलावा, गोसाईगंज के भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी, अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय और फैजाबाद के उप-रजिस्ट्रार एसबी सिंह के खिलाफ भी शिकायत की थी
बेलगाम खरीद फरोख्त के मामले में अयोध्या प्राधिकरण ने आरोप बड़े गंभीर लगाए है :
· अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर जमीन रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में खरीदी थी
· 29 दिसंबर, 2020 को उन्होंने मंदिर स्थल से लगभग पांच किमी. दूर सरयू नदी के पार महेशपुर (गोंडा) में जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से चार करोड़ रुपये में 14,860 वर्ग मीटर भूमि खरीदी थी
· अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दो महीने पहले 18 सितंबर, 2019 को हरीश कुमार से 30 लाख रुपये में 1,480 वर्ग मीटर भूमि खरीदी थी
भाजपाईयों की राम नाम पर चंदा चोरी
· आपको याद ही होगा कि कैसे राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव और RSS के पूर्व लीडर चंपत राय, ट्रस्टी अनिल मिश्रा और भाजपा मेयर ऋषिकेश उपाध्याय कि मिली भगत से 2 करोड़ कि ज़मीन को मंदिर ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में टिकाया गया।
· यही नहीं ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे और भाजपा आईटी सेल के नेता दीप नारायण उपाध्याय ने 20 फरवरी, 2021 को जमीन 20 लाख रुपए में खरीद कर 79 दिन के अंदर उसे 2.5 करोड़ का राम मंदिर ट्रस्ट को बेच दिया। इस पर भी चंपत राय, अनिल मिश्रा, इन सबके दस्तखत हैं।
· दीपनारायण उपाध्याय ने एक गिफ्ट डीड में ली हुई ज़मीन भी 2 करोड़ में राम मंदिर ट्रस्ट को बेच डाली गई।
राम राज्य कि फ़र्ज़ी बात करने वालो ने इस देश के लोगों को बेरोज़गार और दरिद्र बनाने का काम किया है। पर आज हम और सारा देश ये पूछ रहा है
· मोदी जी यह रामद्रोह नहीं तो क्या है?
· क्या सजा होगी इन चंदा चोरों की?
· क्या सजा होगी उन नेताओं कि जो इन डाकुओं के बचाव में उतरे थे?
· क्या अभी भी यह जांच लोकल अधिकारी ही करते रहेंगे?
· सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट के गठन का आदेश दिया था, आज हम चाहते हैं उच्चतम न्यायलय इस अंधाधुंध घोटाले का स्वतः संज्ञान ले और-
रामचंद्र जी के नाम पर होने वाली इस लूट को, इस घोटाले को, इस मुनाफाखोरी को, इस चंदा चोरी को तुरंत बंद करे। लेकिन हां, क्योंकि भगवान राम नैतिकता का सवाल है, मर्यादा का सवाल है, तो आज मर्यादा और नैतिकता मोदी सरकार की तार-तार हो चुकी है। आज उनसे सवाल पूछना पड़ेगा कि जब ये सूची आई है, जिसमें आपके लोग शामिल हैं, कोई वक्तव्य दीजिएगा, कोई बात बोलिएगा, श्रीराम का हवाला आज तो दीजिए। गरीब, दरिद्र, नारायण के मुँह से निवाला छीनने वालों भगवान राम के पीछे छुपते हैं। आज जब भगवान राम के नाम पर लूट हो रही है, तो किस खोह में घुसकर बैठे हो, ये पूरा देश जानना चाहता है?