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वीडियो: ईडी का आतंक है देश के अंदर ये आतंक मचा रखा है, इसका फैसला जल्दी होना चाहिए- कांग्रेस

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: जय राम रमेश ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज सुबह हमारे बीच में कांग्रेस पार्टी के तीन बहुत बड़े नेता, बहुत अनुभवी नेता जो हमारे संगठन के महत्वपूर्ण स्तंभ भी हैं,अशोक गहलोत जी, मुख्यमंत्री राजस्थान,गुलाम नबी आजाद, पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू एंड कश्मीर और पूर्व विपक्ष के नेता, राज्यसभा में और आनंद शर्मा जो डिप्टी लीडर रह चुके हैं, हमारे पार्टी के राज्यसभा में इस प्रेस वार्ता को संबोधित करेंगे।मैं पहले गुजारिश करूँगा कि अशोक गहलोत संक्षिप्त में कुछ बोलें, उसके बाद में गुलाब नबी आजाद और उसके बाद में आनंद शर्मा, आपसे बातचीत करेंगे।

अशोक गहलोत ने कहा कि आप देख रहे हैं कि ईडी द्वारा जो तमाशा हो रहा है, देश के अंदर, पहले राहुल गांधी को बुलाया और पांच दिन तक लगातार, ऐसा कभी होता नहीं है। किसी ने सुना भी नहीं होगा कि पांच दिन तक लगातार आप 50 घंटे आप पूछताछ करेंगे। सोनिया जी को बुलाया है, अब आज तीसरा दिन है, तीसरी बार और पता नहीं, वो कब तक बुलाएंगे। ये जो ईडी का आतंक है देश के अंदर ये आतंक मचा रखा है, इसका फैसला जल्दी होना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट में केसेस चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में चाहिए कि जो देश का मूल है, पूरे देश के अंदर लोग चिंतित हैं 0.5 प्रतिशत भी इनकी सक्सेस रेट नहीं है, तो क्यों नहीं इसका जल्दी फैसला हो? ये सीआरपीसी का प्रोसेस भी एडॉप्ट नहीं कर रहे हैं। इनका अलग ही तरीका है, तफ्तीश करने का भी, अरैस्ट करने का भी, बयान लेने का भी। इनको एक प्रकार से सीबीआई से ज्यादा पावर मिली हुई है। इंकम टैक्स जहाँ चाहता है, वहाँ चले जाते हैं लोग। तो एक इशू बन गया है, देश के अंदर। तो भारत सरकार को चाहिए कि डेमोक्रेसी में उचित नहीं है, वो बकायदा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को जल्दी करवाएं। ये मैं एक तो निवेदन करना चाहता हूँ। ईडी का उपयोग सरकारें गिराने के लिए किया जाता है, बड़े रुप के अंदर, जो महाराष्ट्र में देखा गया। सरकारें गिराने का काम तो करती है ईडी, पर मंत्रिमंडल बनाने का काम नहीं कर सकती। 28 दिन से वहाँ मंत्रिमंडल नहीं बना है। खाली सीएम और डिप्टी सीएम वहाँ पर बैठे हुए हैं। तो ये क्या इंगित करता है, डेमोक्रेसी किस दिशा में जा रही है, आप लोग सोच सकते हैं।

इस रूप में आज महंगाई और बेरोजगारी की जो स्थिति है, देश के अंदर; आर्थिक स्थिति गर्त में जा रही है, उसको लेकर पूरा देश चिंतित है। नौजवान चिंतित है, उसके लिए। महंगाई से आम नागरिक चिंतित है, उसके ऊपर पार्लियामेंट के अंदर बहस करना चाहें, तो करने नहीं देते हैं। 19 लोगों को सस्पैंड कर दिया, कल। पहले 4 को कर दिया था। आजाद साहब और बैठे हैं, हमारे आनंद शर्मा जी वरिष्ठ नेता, जहाँ तक मेरी नॉलेज है, कांग्रेस शासन में कभी भी किसी को सस्पैंड नहीं किया जाता था, 1980 से हम देख रहे थे, उससे पहले भी। 1980 से पहले भी हम देख रहे हैं, 12-12 दिन तक पार्लियामेंट नहीं चली है। तब भी किसी को बाहर फेंकने की बात ही नहीं होती थी और इन्होंने मजाक बना रखा है। तो ये तमाम जो स्थिति बनी है, देश के अंदर, इससे पूरा देश इतना घबराया हुआ है, चिंतित है औऱ इनको ये घमंड है कि देश इन बातों को भी सपोर्ट कर रहा है, क्योंकि इन्होंने अपने वादे तो भुला दिए। मेरे पास बहुत लंबी लिस्ट है, य़हाँ पर, 2014 के चुनाव के अंदर जो कैंपेन चला था, वो बातें, चाहे वो ब्लैक मनी लेकर आएंगे। वो सरकार बनते ही जो एसआईटी बनी थी सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष की अध्यक्षता में, ब्लैक मनी लाने वाली, वो तो सब गायब ही हो गया, दूसरी बातें क्या कहें। कल जो मीडिया ने एजेंडा दिनभर चलाया, सोनिया गांधी जी और इनको जो अरैस्ट किया गया, खाली उसी पर डिबेट चलती रही कि सोनिया गांधी जी के बयान लेने के उपलक्ष में भी हल्ला हो रहा है, कांग्रेस द्वारा, महंगाई और अन्य दूसरे मुद्दे भी हैं, बेरोजगारी के हैं, उन पर क्यों नहीं चर्चा हो रही है? किसने कहा नहीं हो रही है? जयपुर में राष्ट्रीय स्तर का महंगाई विरोधी सम्मेलन हुआ था, याद होगा, आप में से कुछ लोग आए होंगे वहाँ पर, इस वक्त से ही, करीब साल भर हो गया, उस वक्त से ही महंगाई, बेरोजगारी हमारा मुख्य मुद्दा है। पर कितना मीडिया दिखाता है, उसको, कितना कवरेज करता है, क्योंकि मीडिया दबाव के अंदर है। मीडिया के मालिक बहुत घबराए हुए हैं, कब ईडी पहुंच जाए, कब इंकम टैक्स पहुंच जाए, कब सीबीआई पहुंच जाए, ये स्थिति है, देश के अंदर और हालात ये हैं, कोई दिखाता नहीं है। डिबेट होती है, तो कहाँ होती है, उन मुद्दों पर ज्यादा। इसलिए मैं निवेदन करना चाहूँगा कि हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला जल्दी करे। मैंने सुना है कि सैंकड़ों वहाँ पर ईडी को लेकर ऐसी हिदायत दी हुई है कि फैसला सुनते हैं, आ रहा है, लेकिन आ नहीं रहा है, तो ये स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। बाकी तो जो अभी हमारे आजाद साहब अपनी बात कहेंगे, मैं लंबी बात नहीं कहना चाहता, मैं तो रोज बात करते रहता हूँ, आपसे।इतना मैं कह सकता हूँ कि अभी जो आतंक की स्थिति बना रखी है, वो देश हित में नहीं है। लोग घबराए हुए हैं और इतना मैं फिर कहना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट को आगे आकर जल्दी फैसला सुनाना चाहिए। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि विस्तार से अशोक गहलोत जी ने न सिर्फ आज की प्रेस कांफ्रेस में बल्कि इससे पहले बहुत सारी प्रेस कांफ्रेंसेस हुई हैं। ईडी, राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी को ईडी के द्वारा जो बुलाया जाता है, उस पर चर्चा की। दुर्भाग्यवश एक दो महीने से मेरी तबियत खराब चल रही है, जिसके कारण मैं धरनों में भी शामिल नहीं हो पाया और ज्यादा जानकारी इसके बारे में प्राप्त नहीं कर पाया, कई हफ्तों मैं अस्पताल में भी रहा इसके कारण। सब हमारे साथियों ने समय-समय पर अपनी तरफ से, पार्टी की तरफ से इस मुद्दे पर चिंता प्रकट की है। मेरे लिए कोई नई बात नहीं है कहने के लिए, जो हमारे साथियों ने पिछले एक-दो महीने से न कही हो। कईयों को तो बहुत जानकारी है, पूरे केस की। मैं संक्षेप में अपनी बात कहना चाहूँगा कि कौन सा पेपर है, नेशनल हेराल्ड का या उससे संबंधित जो भी पेपर है, वो सब इफोर्समेंट एजेंसीज के पास, जिसकी कई सालों से, कई वर्षों से वो जांच पड़ताल कर रहे थे और एक वक्त में तो सुनने में आया था कि उसमें कुछ नहीं है, बंद कर रहे हैं। चलो बंद नहीं किया फिर राहुल गांधी जी से तकरीबन 30 घंटे से ज्यादा इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने उनको बुलाया और डबल शिफ्ट में उनसे बातचीत की।तो मेरी समझ में नहीं आता, केस एक है, फैमिली एक है। फैमिली के दो आदमियों का नाम जो उसमें लिखा, उसमें जब बेटे से, राहुल गांधी से 5 दिन कई घंटो, दर्जनों घंटे आपने बातचीत की, उसी केस के लिए सोनिया जी को फिर बुलाने की क्या जरुरत थी? राहुल जी, चलो जवान हैं, लेकिन सोनिया जी की उम्र और जिस तरह से वो कुछ सालों से बीमार चलती आ रही हैं और किस तरह से वो पिछले 6 महीनों से, अस्पताल में भी दाखिल रहीं कई दिन, घर में भी बीमार हैं। तो एक बीमार लीडर को, जिसकी उम्र भी जवान तो नहीं है कि वो इस प्रेशर को, जो एजेंसीज होती हैं, उनका प्रेशर तो कोई जवान नहीं बर्दाश्त कर सकता, पर विशेष रुप से सोनिया गांधी, भले ही उन्होंने संगठन में इतने साल और एक पॉलिटिकल परिवार में रहने के नाते, पॉलिटिकल जानकारी हासिल की हो, लेकिन ये सब टैक्निकल चीजें है। इन टैक्निकल चीजों के बारे में एक नॉन टैक्निकल आदमी, मैं अपनी मिसाल देता हूँ, मैंने जिंदगी में कभी इंडस्ट्री या कॉमर्स की तरफ हाथ नहीं बढ़ाया, क्योंकि मुझे इसका ए.बी.सी. भी नहीं आता। मैं जब चीफ मिनिस्टर था तो सोशल मिनिस्ट्री मैं मैंने हैल्थ, एजुकेशन अपने पास रखे। जब सेन्टर में रहा, तो मैंने प्राइम मिनिस्टर को हमेशा कहा कि मुझे इकॉनमिक मिनिस्ट्री नहीं चाहिए, क्योंकि मुझे नहीं आती। मुझे ये नहीं आता है कि ये शेयर क्या होते हैं। तो आप वही चीजें सोनिया गांधी जी से पूछते हैं, ये शेयर क्या हुआ, वो शेयर क्या हुआ, तो ये तो उचित नहीं है। आपके पास कागज हैं, पेपर्स हैं। आपने राहुल गांधी से एक नहीं, पांच बार, एक शिफ्ट में नहीं, दो-दो शिफ्टों में इन्होंने बातचीत की, वो बहुत काफी है। पहले जमाने में जंगे होती थी, खुले मैदान में, लेकिन दोनों तरफ से जंग लड़ने वालों को बादशाह की तरफ से हिदायत होती थी, औरत पर हाथ नहीं उठाना और बीमार पर हाथ नहीं उठाना। तो ये परंपरा हमारे युद्धों में भी, जो लड़ाईयां होती थी, जो फ्री फायर होता था, उसमें भी लिहाज रखा जाता था। लिहाजा मैं सरकार से भी और ईडी से भी निवेदन करूँगा, इस चीज को जेहन में रखें और इस हालत में मिसेज गांधी को इतनी बार ईडी के सामने, एजेंसीज के सामने बुलाना उचित नहीं है, ठीक नहीं है। जो कार्रवाई उन्होंने की है, कागज उनके पास हैं, राहुल गांधी से पूछताछ की है। अब उन बेचारी औरत को क्यों परेशान करते हैं। डॉक्टर साथ है, इसका मतलब है कि तबीयत उनकी ठीक नहीं है, तो ये काफी सबूत हैं।तो मैं यही कहना चाहता हूँ कि आज के माहौल में एजेंसीज हर जगह जा रहे हैं, शायद कभी-कभी जहाँ जाना नहीं चाहिए, जिसकी इंक्वायरी नहीं करनी चाहिए, उसकी भी करते हैं, लेकिन ये जरा जरुरत से ज्यादा हो रहा है और इस तरह से मिसेज सोनिया गांधी जी की सेहत के साथ खेलना ये अच्छा नहीं होगा, मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूँ। आनंद शर्मा ने कहा कि माननीय अशोक गहलोत जी, गुलाम नबी आजाद साहब, श्री जयराम रमेश जी और पत्रकार साथियों। एक लंबे समय के बाद गुलाम नबी जी और मैं आए हैं, आपसे मुखातिब होने के लिए। जो अशोक गहलोत जी ने और गुलाम नबी जी ने आपके सामने बात रखी है, मैं उसकी ताइद करता हूँ, उसका अनुमोदन करता हूँ, जो चिंताएं व्यक्त की हैं। आपके माध्यम से कई बार इसी मंच से कांग्रेस पार्टी ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है, अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, मैं अपनी आवाज को उसके साथ जोड़ता हूँ।

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