अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस सांसद एंव प्रवक्ताडॉ नसीर हुसैन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज सुबह से लेकर शाम तक राज्य सभा में, लोक सभा में लगातार कांग्रेस पार्टी और सारे विपक्ष के सांसदों ने ईडी, आईटी, सीबीआई की तानाशाही को लेकर काफी बात रखी, एलओपी ने मुख्य विषयों पर बात रखी है, उसके अलावा सुबह से लेकर अभी तक, खासकर राज्य सभा में बहुत सारा हंगामा हुआ, उसको लेकर कांग्रेस डेलीगेशन है, वो आपके सामने अपनी बात रखेगा। हमारे वरिष्ठ नेता, हमारे सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह साहब अपनी बात रखेंगे।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि लोकतंत्र के इतिहास में ये कभी नहीं हुआ कि विपक्ष के नेता को, जब संसद चल रही हो, तब इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट या इंवेस्टीगेशन एजेंसी पार्लियामेंट की टाइमिंग में उनको बयान देने के लिए बुलाया जाए। लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नजर नहीं आता। अगर लीडर ऑफ अपोजीशन मल्लिकार्जुन खरगे जी को अगर बुलाना ही था, तो 11 बजे से पहले बुला लेते, या 5 बजे के बाद बुला लेते। जिस दिन नेशनल हेराल्ड पर इंवेस्टीगेशन एजेंसी गईं, रात को 9:30 बजे तक खरगे जी मौजूद थे, फिर आज पार्लियामेंट में चर्चा हो रही है, क्वेश्चन आवर चल रहा है,
उसके पहले जीरो आवर था, जिसके अंदर काफी महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने थे, तब इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट उनको बयान देने के लिए बुला रहा है,इससे बड़ा मजाक भारतीय लोकतंत्र के अंदर न हमने देखा है, न सुना है। आखिर मोदी इतना डरते क्यों हैं? अरे महंगाई बढ़ी है, मैं तो आप लोगों से पूछता हूँ, कौन सा ऐसा परिवार है, जितने यहाँ खड़े हुए हैं, आपका वेतन तो बढ़ा नहीं, लेकिन घर में महंगाई ज्यादा बढ़ी है कि नहीं बढ़ी है, आप खुद आत्मचिंतन कर लीजिए। अरे हम लोग अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, हम लोग आप लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए आइए, कल सुबह 11 बजे सारे हमारे कांग्रेस के सांसद राष्ट्रपति जी को जाकर कहेंगे कि माननीय वित्तमंत्री जी का देश के वास्तविक आर्थिक हालातों से परिचय नहीं है, इसलिए हम लोग कल मार्च करेंगे, राष्ट्रपति जी के घर तक। आप सब लोग इसलिए आमंत्रित हैं और आप लोग उसमें शामिल होइए।
मैं आमंत्रित करता हूँ, प्रमोद तिवारी को कि वो आपसे कुछ कहें।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि सदन, लोक सभा हो, राज्य सभा हो, विधान सभा हो, ये नियमावली से भी चलती है, संविधान से भी चलती है और स्थापित परंपराओं से भी चलती है। आज तक लोकतंत्र के इतिहास में इसके पहले भारतीय संसद के रिकॉग्नाईज्ड नेता विरोधी दल को जब उसकी नोटिस लगी हो, ये महत्वपूर्ण है कि उनकी नोटिस लगी हुई है और उस पर चर्चा होनी हो, तो उसके पहले ईडी, उनको समन करके बुलाए! समय दिया गया कि 11:30 पर आप आइए। 11 बजे से लेकर 6 बजे तक सदन चलता है, अगर बुलाना आवश्यक था, तो शनिवार को, रविवार को बुला लेते, परंतु नियमावली का अपमान हुआ, संविधान का अपमान हुआ और मैं कहूँगा परंपराओं, जिससे की राज्य सभा चलती है। ये सिर्फ एलओपी का अपमान नहीं है, ये संपूर्ण राज्य सभा, लोक सभा और विधायिका का अपमान है और विधायिका का अपमान क्यों हो रहा है- पत्रकारिता की वजह से। एक नेशनल हेराल्ड अखबार, जिसने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, उस समय ये महत्वपूर्ण था, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता, उसके लिए आप समन कर रहे हो, एलओपी को जानबूझकर, जब दो दिन बाद उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है। नेता सदन, वो सभापति बनेंगे, सीधे जुड़ा हुआ मसला है और आप दो दिन पहले ईडी का दुरुपयोग करके, ईडी का मिसयूज करके आप जो उनसे पूछताछ करनी थी, आप कर चुके हैं। ऐसा नहीं है कि पहली बार बुला रहे हैं, बुलाना था, सदन के कार्यकाल समाप्त होने के बाद बुला लेते, शनिवार, रविवार को बुला लेते, नहीं बुलाना था, कम से कम सदन के कार्यकाल के दौरान न बुलाते, लेकिन जिस तरह से नोटिस लगी हुई, उस पर चर्चा न हो सके, क्योंकि महत्वपूर्ण विषय था ईडी पर यदि बुला लें, तो इससे ज्यादा अपमान विधायिका का और पत्रकारिता का दूसरा नहीं हो सकता।