अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से एक वीडियो वायरल को रहा हैं जिसमें देखा गया हैं कुछ पुलिस कर्मी प्रवासी मजदूरों को बेहरमी से डंडों से पिटाई कर रहे हैं और जमीनों पर लेटा कर पीट रहे हैं। यह वीडियो आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने अपने ट्विटर हेंडल पर शेयर किया हैं और भाजपा पर हमला बोला हैं। इस वीडियो को काफी लोग देख रहे हैं। बताया गया कि यह वीडियो गुजरात का हैं।
ये है भाजपा का “गुजरात माडल” गरीब मज़दूरों को जानवरों की तरह पीटा जा रहा है @vijayrupanibjp जी शर्म करो जिन ग़रीबों को रोटियाँ देनी चाहिये उन्हें लाठियाँ दे रहे हो। pic.twitter.com/pBiH6AsQ3B
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 18, 2020
बताया जाता हैं कि प्रवासी मजदूरों को जोकि भूखे प्यासे हैं जिनके पास खाना खाने के लिए पैसा हैं,नौकरी करने के लिए उनके पास काम नहीं हैं ऐसे में इन मजदूरों को ट्रकों से खींच कर बेहरमी से डंडे से पुलिस कर्मियों द्वारा पीटना कहां तक उचित हैं। इस लॉकडाउन में किसी को सबसे ज्यादा कष्ट हुआ हैं तो वह गरीब मजदूर हैं। यह सभी मजदूर लोग बिहार , उत्तरप्रदेश , राजस्थान , बंगाल और अन्य प्रदेशों से रोजी रोटी की कमाने आए थे , अपने कमाई के पैसों में आधा से ज्यादा पैसा मकान मालिकों को किराए में दे दिया करते थे और बाकी के पैसों से अपने बच्चों पढ़ाई और घर में खाने पिने पर खर्चा कर देते थे। लगभग दो महीनों में उनकी कंपनी बंद होने के कारण उनकी नौकरी चली गई।
अगर सरकार का ग़रीब-मज़दूरों के प्रति ऐसा ही दुर्भावपूर्ण व उपेक्षापूर्ण व्यवहार रहा तो भला किस पर विश्वास करके ये प्रवासी मज़दूर वापस काम पर लौटेंगे. अमीरों की इस सरकार ने अब तो श्रम क़ानूनों का रक्षा-कवच भी छीन लिया है. बिना मज़दूर के कोई काम-कारख़ाना कैसे चलेगा, कोई तो समझे. pic.twitter.com/GBSDLDK6n0
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 17, 2020
घर में खाने के लाले पर गई और मकान मालिकों के किराया नहीं देने के काऱण, मकान मालिकों ने अपने घरों से मजदूरों को निकाल दिया। ऐसे में मजबूरन सड़कों पर उत्तर कर मजदूरों ने अपने सिर पर बोझ उठा कर हजारों किलो मीटर दूर पैदल चल अपने घर पहुँच गए , कई मजदूर और उनके बच्चों ने रास्ते में दम तोड़ दिया। देर से जागी सरकार ने अब ट्रैन और बस की व्यवस्था की हैं और अब तक लाखों लोगों को उनके प्रदेशों और जिलों में पहुंचाया जा चुका हैं और अब उतने ही लोग अपने गांव जाने के लिए गाजियाबाद और अन्य प्रदेशों के जिले में संघर्ष कर रहे हैं।