अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की इस विशेष पत्रकार वार्ता में राहुल गांधी जी और आप सबका स्वागत है। आज देश जब महंगाई के बोझ तले पिस रहा है। आज देश की गृहणी का बजट जब बिगड़ चुका है, तो ऐसे में कुछ महत्वपूर्ण विषय लेकर राहुल गांधी आपके बीच में उपस्थित हैं। मैं उन्हें आग्रह करुंगा कि वो सीधे आपसे अपनी बात कहेंगे।
राहुल गांधी ने कहा कि नमस्कार। Thank you for coming here today. आज मैं प्राइस राइज के बारे में, पेट्रोल, डीजल और गैस की बढ़ती कीमतों के बारे में आपसे, देश की जनता से बात करना चाहता हूं। डीजल-पेट्रोल ये तकरीबन इकोनॉमी के हर भाग में कहीं ना कहीं इनपुट होता है इसका। तो जब डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ते हैं, एक तो डायरेक्ट चोट लगती है और एक इनडायरेक्ट चोट लगती है। डायरेक्ट चोट लगती है, जो गाडी में, स्कूटर में, ट्रक में डीजल-पेट्रोल डालता है, उसे जेब पर डायरेक्ट चोट लगती है और जब डीजल का, पेट्रोल का दाम बढ़ता है, तो ट्रांसपोर्ट कोस्ट बढ़ती है। जब ट्रांसपोर्ट कोस्ट बढ़ती है, तो सब चीजों के दाम बढ़ते हैं, उससे इनडायरेक्ट चोट लगती है।
पिछले 7 साल से हमने एक नया आर्थिक पेराडाइम देखा है। एक तरफ डिमोनेटाइजेशन, दूसरी तरफ मोनेटाइजेशन। ये (एक कागज दिखाते हुए राहुल गांधी जी ने कहा) एक तरफ डिमोनेटाइजेशन और दूसरी तरफ मोनेटाइजेशन और फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा, मोदी जी ने पहले कहा था मैं डिमोनेटाइजेशन कर रहा हूं और फाइनेंस मिनिस्टर कहती रहती हैं, मैं मोनेटाइजेशन कर रही हूं। तो जनता ये पूछ रही है कि मोनेटाइजेशन किसका, डिमोनेटाइजेशन किसका? क्योंकि मोनेटाइजेशन हो रहा है, तो किसी का तो हो रहा होगा और डिमोनेटाइजेशन हुआ है, तो किसी का हो रहा होगा। तो मैंने ये आपके लिए मोदी जी के लिए बहुत अच्छी तरह लिखा है। देखिए, डिमोनेटाइजेशन किसका हो रहा है – किसानों को हो रहा है, मजदूरों को हो रहा है, जो छोटे दुकानदार हैं, मिडिल साइज बिजनेस वाले हैं, स्मॉल बिजनेस वाले हैं, उनका हो रहा है, एमएसएमई का हो रहा है, सैलरिड क्लॉस, सरकार के जो इम्पलॉई हैं, उनका हो रहा है और जो ईमानदार इंडस्ट्रलिस्ट हैं, उनका हो रहा है।
अब मोनेटाइजेशन किसका हो रहा है – 4-5 नरेन्द्र मोदी के जो मित्र हैं, उनको आप 4-5 कह दीजिए, उनको आप हम दो, हमारे दो कह दीजिए, जो आप कहना चाहते हैं, कह दीजिए। तो ये इकोनॉमिक ट्रांसफर हो रहा है। और बड़ी इंट्रस्टिंग बात निकली है। मैं सोच रहा था, मोदी जी कहते रहते हैं कि जीडीपी बढ़ रही है। फाइनेंस मिनिस्टर कहती हैं कि जीडीपी का प्रोजेक्शन ऊपर की और है। मैं समझ नहीं रहा हूं भाई, जीडीपी नीचे जा रही है पर फाइनेंस मिनिस्टर, प्रधानमंत्री कहते हैं जीडीपी बढ़ रही है। फिर बात मुझे समझ आई, उनके लिए जीडीपी का मतलब– गैस, डीजल, पेट्रोल है। इनका ये कन्फ्यूजन है और मैं अब आपको गैस, डीजल, पेट्रोल के दाम और जीडीपी किस प्रकार से बढ़ रही है, वो आज थोड़ा डायरेक्ट बताना चाहता हूं।
2014 में नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि डीजल, पेट्रोल के दाम बढ़ते जा रहे हैं, याद है आपको। 2014 में 410 रुपए प्रति सिलेंडर की प्राइस थी। जब हमने, यूपीए ने ऑफिस छोड़ा तब, आज 885 रुपए प्रति सिलेंडर हो गया है, 116 प्रतिशत इनक्रिज। पेट्रोल के प्राइस 71.51 रुपए 2014 में, आज 101.34 रुपए, 42 प्रतिशत प्राइस इनक्रिज। 57.28 रुपए प्रति लीटर डीजल, आज 88.77 रुपए प्रति लीटर, 55 प्रतिशत इनक्रिज।
अब मजेदार बात ये है कि कोई ये आर्ग्युमेंट कर सकता है कि ये तो इंटरनेशनल रेट बढ़ा है। इंटरनेशनल मार्केट पर डीजल-पेट्रोल का दाम बढ़ा होगा, इसलिए हिंदुस्तान की जनता को चोट लग रही है। इसलिए ये पूरा मोनेटाइजेशन, डिमोनेटाइजेशन का तमाशा चल रहा है। मगर अजीब सी बात ये है कि जब यूपीए की सरकार थी 2014 में, तो 105 यूएस डॉलर कच्चे तेल का दाम था, आज 71 यूएस डॉलर है। 32 प्रतिशत ज्यादा था हमारे टाइम। गैस इंटरनेशनल प्राइस देख लीजिए। हमारे टाइम 880 यूएस डॉलर प्रति मीट्रिक टन था, आज 653 यूएस डॉलर प्रति मीट्रिक टन है, यानि 26 प्रतिशत कम।
इंटरनेशनल मार्केट में गैस प्राइस, डीजल प्राइस, पेट्रोल पाइस, ऑयल प्राइस गिर रहे हैं और हिंदुस्तान में बढ़ते जा रहे हैं। दूसरी तरफ हमारे जो एसेट हैं, उनको बेचा जा रहा है। 23 लाख करोड़ रुपए सरकार ने जीडीपी से कमाया है। जीडीपी वो ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट नहीं, जीडीपी मतलब गैस, डीजल, पेट्रोल। मेरा सवाल है कि ये 23 लाख करोड़ रुपए गए कहाँ? और जनता को ये पूछना चाहिए कि आपकी जेब से जो पैसा निकाला जा रहा है, छिना जा रहा है, ये कहाँ जा रहा है? जो हिंदुस्तान के एसेट हैं, हमारी कंपनी हैं, उनको बेचा जा रहा है। डिमोनेटाइजेशन किया जा रहा है, नोटबंदी की जा रही है। जीएसटी, आपसे पैसा छिना जा रहा है। किसानों के 3 कानून बने हैं। वहाँ से आपका पैसा छिनने की कोशिश हो रही है। तो ये जा कहाँ रहा है? आपके पास तो नहीं आ रहा, आपकी जेब में तो नहीं जा रहा। तो हिंदुस्तान के युवाओं को, जनता को ये सवाल पूछना पड़ेगा कि ये जा कहाँ रहा है, किसको मिल रहा है ये सब पैसा?
अब अंग्रेजी में बोल देता हूं।