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कांग्रेस प्रवक्ता एंव राज्य सभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में पीएम मोदी के बारे में क्या कहा- पढ़े

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता एंव राज्य सभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की प्रेस वार्ता बुलाने का कारण यही है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार भाजपा के प्रवक्ता, भाजपा का डर्टी ट्रिक्स सोशल मीडिया डिपार्टमेंट और कुछ मीडिया भी बार-बार ये बात चला रहा है कि देखो पीएम मोदी को बुलाया था एसआईटी ने, वो तो चुपचाप चले गए थे। कोई हंगामा नहीं था, कोई विरोध नहीं था, जैसे ही बुलाया चले गए। कभी एसआईटी पर सवाल नहीं किया।तो मैं गुजरात से आता हूं और इस पूरे दौर का चश्मदीद गवाह हूं। मैंने सोचा आपके जरिए इस देश को भी सच्चाई बताना जरुरी है।

जब एसआईटी ने समन किया, पूरे गुजरात में रातों- रात दीवारों पर बहुत ही गंदी भाषा में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार, कांग्रेस के नेता और स्टेट में सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है गवर्नर का, उन गवर्नर के खिलाफ, क्योंकि पीएम मोदी को समन किया था, दीवारों पर बड़े-बड़े स्लोगन लिखे गए। उस वक्त की गुजरात की गवर्नर एक 80 साल की ऐसी महिला थी, जो गांधीएन विचारधारा से जुड़ी थी। गांधी जी कहने पर जब इस देश में जब गांधी जी ने आह्वान किया कि छात्र भी आजादी की लड़ाई में जुड़ें, तो ये गुजरात की उस वक्त की गवर्नर साहिबा ने छात्रा होते हुए छात्रों की सेना बनाई, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए और उसकी अगुवाई की और उस गवर्नर का पीएम मोदी को बुलाने में या एसआईटी में कोई रोल नहीं था, फिर भी पूरे गुजरात में लिखा गया – गवर्नर चोर है। बड़े-बड़े स्लोगन, अगर आपमें से किसी के पास आरकाइव होगा तो पुरानी वीडियो और फोटो निकालेंगे, तो आपको भी वो मिल जाएगा।

हमने, आपने सबने सुना कि मोदी जी तुरंत चले गए, एसआईटी का विरोध ही नहीं किया। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि उस वक्त पर जब एसआईटी बुलाना चाहती थी, पीएम मोदी को समन आया, तो उसके खिलाफ उस वक्त के बीजेपी के एमएलए कालू मालिवाड़, वो हाईकोर्ट में गए और उसने कहा एसआईटी को किसी को भी समन करने का अधिकार नहीं है। वो खुद भी उसमें से एक एक्यूज थे और उसने कहा कि हमें विटनेस हो या एफआईआर में या एक्यूज की पिटिशन में नाम हो, उसे एसआईटी बुला नहीं सकती है। हाईकोर्ट ने उसकी पिटीशन खारिज कर दी, एसआईटी में नहीं जाना था पीएम मोदी को। हाईकोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चले आए और सुप्रीम कोर्ट में पीएम मोदी के वकीलों ने बहुत वकालत की, सुप्रीम कोर्ट से कोई रिलीफ नहीं मिली। उस पिटीशन में गवर्मेंट ऑफ गुजरात ने एक एफिडेविट फाइल की। समन गुजरात के मुख्यमंत्री को किया था और जिस गवर्मेंट को हैड करते थे, उस पीएम मोदी की सरकार ने एक एफिडेविट फाइल की कोर्ट के सामने, हायर ज्यूडिशियरी के सामने और उसमें लिखा कि SIT has no power to call any person. एसआईटी को किसी को समन करने का अधिकार नहीं है, पर हाईकोर्ट ने भी जब कोई रिलीफ नहीं दी, पिटीशन खारिज कर दी और सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली, तब जाकर मोदी जी एसआईटी में पेश हुए और जैसा मैंने कहा कि एसआईटी में पेशी हुई तो, गुजरात में दीवारों पर स्लोगन लिखे। मोदी जी चाहते थै कि उनके समर्थन में पूरे देश में भाजपा निकले। भाजपा के ही एक फॉर्मर चीफ मिनिस्टर गुजरात के थे, उन्होंने मुझे बताया था कि देश का कोई भी बीजेपी का नेता इनके समर्थन में खुलकर नहीं निकलेगा क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था राजधर्म निभाओ। इन्होंने नहीं निभाया है और हमारी भाजपा की लीडरशिप कहती है कि कानून, कानून का काम करेगा। मोदी पीएम से भाजपा ने अपने आपको अलग कर लिया था, क्योंकि कोई छोटा-मोटा किस्सा नहीं था। बहुत सारे मर्डर के, कॉस्पिरेटर के तौर पर एसआईटी ने बुलाया था।एक और बात कुछ लोग चलाते हैं कि ये क्या हो गया, पीएम मोदी आज कांग्रेस के नेता को बुलाते हैं, कांग्रेस के नेता थे, तो उन्होंने ने भी पीएम मोदी को भी या अमित शाह को बुलाया था। मैं याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस ने अपनी अगुवाई वाली यूपीए सरकार से किसी भी सेंट्रल एजेंसी से ना अमित शाह को, ना पीएम मोदी को कोई समन भेजा था। कांग्रेस का कोई फैसला उस सरकार का नहीं था। सरकार ने किसी एजेंसी को कहा था कि तुम ये करो। ये फैसला ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट का था कि एसआईटी बनेगी और एसआईटी जांच करेगी। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने अपनी किसी भी एजेंसी के जरिए अमित शाह को या पीएम मोदी को समन नहीं भेजा था।गुजरात हाईकोर्ट ने एसआईटी बनाई थी, जिसमें अमित शाह की सारी हकीकत बाहर निकाली, वो भी हाईकोर्ट की बनाई हुई एसआईटी थी और पीएम मोदी को जिसने समन किया, उस कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार की किसी एजेंसी के जरिए कांग्रेस ने नहीं किया था, सुप्रीम कोर्ट की बनाई हुई एसआईटी ने इनको बुलाया था। ये सच है और दूसरी तरफ झूठ के पुलंदे बांधे जा रहे हैं और दोनों केस में बहुत बड़ा फर्क है –एक सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी बहुत सारे मर्डर के केस में एक एक्यूज्ड को समन करती थी उस वक्त और यहाँ पर सेंट्रल गवर्मेंट के इशारे पर जिस ईडी ने पहले इस केस को जांच लिया और क्लोज किया है। इसी एलिगेशन को इलेक्शन कमीशन ने खारिज किया। इसी एलिगेशन को लेकर कोर्ट में गए और अगर कोई सीरियसनेस होती, कोर्ट जिसमें बेल भी नहीं मिलता, कोर्ट में मैटर पेंडिंग है। पहले ईडी ने इसको देख लिया था, तो अब दोबारा ईडी उसी मैटर को पॉलिटिकल वेंडेटा की तरह उठा रही है। एक वो थे पीएम मोदी , जिसको प्रधानमंत्री, उसी पार्टी के कहे था, उन्होंने कहा था तुम राजधर्म निभाओ और कोई भी भाजपा का नेता उसके साथ नहीं खड़ा रहना चाहता था, ना देश के लोग उनके लिए सिंपैथी रखते थे। दूसरी और एक फॉल्स एलिगेशन, पॉलिटिकल वेंडेटा, जहाँ कोर्ट का कोई रोल नहीं है। एक एजेंसी को पॉलिटिकल प्रेशर के दौरान करके जहाँ कोई गुनाह नहीं, वहाँ एक बार केस देख लेने के बाद दोबारा पॉलिटिकल वेंडेटा के तहत बुलाते हैं, जिनके साथ पूरी कांग्रेस पार्टी खड़ी रहती है, देश के लोगों की सिंपैथी है। पब्लिक खुद जानती है।तो ये दोनों के बीच का ये गलत तरीके से ये पिक्चर बनाया जाता था, तब उस वक्त पर मैंने आपके सामने कुछ तथ्य यहाँ रखे हैं और एक दूसरा भी आपको बता दूं कि कल हमने पूरे देश में ये पॉलिटिकल वेंडेटा मिसयूज ऑफ गवर्मेंट एजेंसी, मिसयूज ऑफ पावर, गुनाह ही नहीं है फिर भी जिस तरह से परेशान किया जा रहा है, उसके विरोध में जहाँ-जहाँ भी महात्मा गांधी जी की कोई प्रतिमा, कोई स्मारक, कोई जगह होगी वहाँ, कल पूरे देश में कांग्रेसी धरना देंगे। दिल्ली में हमने तय किया था हम शांतिपूर्ण धरना देंगे, राजघाट जाएंगे। सारे एमपी, सीडब्लूसी मेंबर और लीडर राजघाट पर धरना देंगे, शांतिपूर्ण धरना होगा। हमारा सत्याग्रह होगा। शुक्रवार को हमने ये तय किया, बता दिया था पुलिस को। शुक्रवार गया, शनिवार गया, रविवार गया, हमको कहा गया कि राजघाट हम परमिशन देंगे। आज सुबह कहा कि नहीं प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया की विजीट है, उसके बाद देखेंगे, बाद में कहा कि राजघाट में आपको परमिशन नहीं देंगे। तो ये पुलिस चाहती है कि कोई ना कोई तरीके से लोग परेशान हों, दिल्ली के लोग परेशान हों। फिर कहा गया कि नहीं, आपको राजघाट, जहाँ धरना होता है, वहाँ नहीं, अंदर चले जाना, राजघाट के अंदर। हमने कहा ठीक है, राजघाट के अंदर बैठेंगे, तो कहा राजघाट के अंदर जाओगे, पर मीडिया नहीं आने देंगे। मतलब आपसे पता नहीं कौन सी दुश्मनी है। मीडिया नहीं होगा, टेंट लगाने की परमिशन हम नहीं देंगे, वो सेंट्रल गवर्मेंट का है। आप जानते हैं अभी वेदर, तो टेंट नहीं होगा। तीसरा कहा कि माइक नहीं होगा, चौथा कहा कि बसों से लोग नहीं आएंगे, मतलब एक तरीके से राजघाट पर भी महात्मा गांधी की समाधि पर बैठने का भी कांग्रेस को अधिकार नहीं है। ये क्या करना चाहते हैं लोकतंत्र में?हम एमपी कल पार्लियामेंट और पार्लियामेंट के बाहर जरुर इसका विरोध करेंगे। हम हमारे धरने का प्रोग्राम जरुर देंगे। हम शांतिपूर्ण सत्याग्रह में मानते हैं। आज आप सभी ने देखा होगा कि इसी दिल्ली में बीजेपी के लोग धरना भी दे सकते हैं, पूरा रास्ता डाइवर्ट किया जाता है, क्योंकि बीजेपी का एजिटेशनल प्रोग्राम चल रहा है। वहाँ माइक लगता है, भाषण भी होता है, स्लोगन भी होता है। वहाँ 144 नहीं लगती है। बेरिकेड्स से कूद कर बीजेपी का कोई बंदा उस ओर जाता है, तो पहली गोद के बेटे को जैसे बाप संभाल कर ले लेता है, उसी तरह से उसको नीचे उतारा जाता है। मैंने टीवी में ही देखा, आपने भी देखा होगा ये। तो ये लोकतंत्र है?मैं दिल्ली पुलिस को भी कहना चाहता हूं कि आप किसी रंगा-बिल्ला के सर्वेंट नहीं हो, आप पब्लिक सर्वेंट हो। जनता जो टैक्स भरती है, उससे आपको तनख्वाह मिलती है। आपका सीआर मतलब कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट सिर्फ सरकार के रजिस्टर में नहीं, ऊपर वाले के रजिस्टर में भी लिखा जाता है, इसको याद रखिए। कम से कम उसका डर रखिए। ये रवैया ठीक नहीं है, पर मैं समझ सकता हूं कि एक अत्याचारी शासक जैसे शासन चलाता है, वैसे गुजरात में चला है और वही मॉडल आज दिल्ली में चलता है, जहाँ सोल्जर अच्छा है, पर सेनापति अत्याचारी है, तो सोल्जर से वही करवाता है, जो जायज नहीं है।

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