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प्रियंका गांधी ने आज एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए क्या कहा , सुनिए उन्हीं की जुबानी -इस वीडियो में

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी प्यारी बहनों, आपका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत। आज से दो साल पहले मुझे कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। तबसे मैं उत्तर प्रदेश में जगह-जगह जा रही हूं, लोगों से मिल रही हूं। डेढ़ साल पहले पास में उन्नाव में एक लड़की का बलात्कार हुआ था और उसके बाद उसको जलाया गया था, उसकी हत्या की गई थी। मैं उस लड़की के घर गई, उस लड़की के घर में उसकी भाभी थी और उसके पिता जी। मैं कम से कम एक घंटे के लिए उस लड़की के घर मैं बैठी रही, पिता जी कुछ नहीं बोले, चुप थे। उनकी भाभी जी ने मुझे पूरी कहानी बताई कि क्या हुआ, कैसे हुआ। उस लड़की की मृत्यु के बाद किस तरह से परिवार को प्रताड़ित किया गया। उससे पहले किस तरह से उसकी छोटी बेटी को धमकाया गया, उसे धमकाया गया, भाईयों को पीटा गया, उसके पिता जी को पीटा गया। उसके पिता जी ने कुछ नहीं कहा। कुछ समय बाद वो फूट-फूट कर रोने लग गए, अचानक और फिर उन्होंने मुझे कहा कि बेटी, मेरी बेटी मेरे बेटों से भी बढ़कर थी। मेरी बेटी के साथ जो भी हुआ, वो घबराई नहीं, वो लड़ी। सुबह उठकर मुझे कहती थी कि पापा तुम मेरे साथ मत आओ, मैं अकेले जाऊंगी। अकेले ट्रेन में रायबरेली आती थी, अपने मुकदमे को लड़ने के लिए। क्योंकि उन्नाव में उसका एफआईआर दर्ज भी नहीं हुआ था। उसके बाद कई ऐसे हादसे हुए। हाथरस में एक लड़की का बलात्कार किया गया। बीच रात में उसके अंतिम संस्कार किए गए। उसके माता-पिता उसका चेहरा भी नहीं देख पाए। पुलिस प्रशासन ने उनको उसका चेहरा भी नहीं देखने दिया।

कुछ समय पहले मैं ललितपुर गई। ललितपुर में दो किसानों ने आत्महत्या की। वहाँ मुझे एक किसान की बेटी सविता मिली। सविता को इतना दुख हो रहा था अपने पिता की मृत्य़ु के बारे में। रो रही थी बहुत जोर से, अभी-अभी शादी हुई थी एक महीने पहले। कह रही थी कि मेरी मां अकेली पड़ जाएगी। उसकी देखभाल कौन करेगा? मेरे मन में आया कि इतना अत्याचार हो रहा महिलाओं पर। जब एक हादसा होता है एक परिवार में, जब किसी की मृत्यु होती है, किसान ने आत्महत्या की। अंत में उसका भी बोझ महिला उठा रही है। उसकी विधवा अकेली, उसकी बेटी अकेली है। तो बार-बार यही दिखता है।

जहाँ-जहाँ मैं जाती हूं कि महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है। यहाँ तक कि जब मैं गिरफ्तार हुई। मेरी पुलिस की बहने हैं यहाँ। मैं गिरफ्तार हुई सीतापुर में। सुबह के 4 बजे थे। खूब लड़ी मैं। आपने देखा होगा। महिला पुलिसकर्मी मेरे साथ लड़ी। उनका कर्तव्य था, उन्होंने निभाया। 4 बजे जब मुझे जीप में बैठाकर दो महिलाकर्मी, पुलिसकर्मी ले गए गिरफ्तार करके। मेरे पास में बैठी थी। एक का नाम पूजा था, एक का नाम मधु। मेरे मन में आया 4 बजे हैं। ये यहाँ सड़क पर खड़ी हैं। अपनी ड्यूटी कर रही हैं। बच्चे घर पर होंगे। घर जाकर परिवार भी संभालना पड़ेगा। मैंने बातचीत की थोड़ी उनसे। उनका भी शोषण हो रहा है, क्योंकि वो जिस तरह से काम कर रही हैं, कितने घंटे काम कर रही हैं, उसके बाद उनको घर भी जाना पड़ता है, घर भी संभालना पड़ता है, जितना वेतन उनको मिलता है, वो क्या काफी है? तो हर तरफ, जहाँ-जहाँ देखो, महिला का शोषण हो रहा है, जो उसका अधिकार है, उसका हक है, उसको नहीं मिल रहा है। मेरे मन में आया कि महिलाओं के लिए कुछ करना है और सबसे बड़ी चीज हम क्या कर सकते हैं आपके लिए कि आपको समझा सकते हैं कि आप अपनी शक्ति को पहचानो। हमने ये शक्ति विधान बनाया। महिलाओं के लिए घोषणा पत्र है। इसमें तमाम घोषणाएं हैं, जो हम आपके लिए कार्यक्रम करना चाहते हैं, जो चीजें हम आपको सशक्त करने के लिए करना चाहते हैं। अब देखिए परिवर्तन लाना है, तो हम सबको एकजुट होकर लाना पड़ेगा। हमें समझना पड़ेगा कि हम इस देश की आधी आबादी हैं। इसका क्या मतलब है – कोई हमें राजनीति में सिरियसली ले क्यों नहीं रहा है?
मुझसे यूपी में जो भी मिलने आता है, चाहे आशा बहुएं हों, चाहे आंगनबाड़ी की महिलाएं हों, चाहे कोई भी वर्ग के, समाज के कोई लीडर हों, सब आकर मुझे कहते हैं कि हम दो-तीन लाख लोग हैं या हम पांच लाख लोग हैं, आप हमारे लिए कुछ काम करेंगे, तो हम आपके लिए वोट देंगे। तो आप बताइए अगर सारी महिलाएं एकजुट हो जाएं और उन्होंने तय कर लिया कि हम इस देश की राजनीति बदलेंगे कि ये जो राजनीति हो रही है हमारे सामने ना, जो चुनाव के समय बड़े-बड़े नेता आकर तमाम घोषणाएं कर लेते हैं, चुनाव के बाद भूल जाते हैं। ये राजनीति जहाँ हमें चुनावी मंचों से ये सिखाया जाता है, साम्प्रदायिकता सिखाई जाती है, जातिवाद सिखाई जाती है, ये राजनीति हमें बंद करनी है। हमें चाहिए अपने भविष्य की राजनीति। हमें चाहिए विकास की राजनीति। हम जानना चाहते हैं, हमें तुम मजबूत कैसे बनाओगे? हमारे लिए क्या करोगे? अगर इस देश की सारी महिलाएं एकजुट होकर एक आवाज उठाएं कि हमें ऐसी राजनीति दो, नहीं तो हम तुम्हें वोट नहीं देंगे। तो आप बताओ, कैसे नहीं बदलेगी इस देश की राजनीति।
आप देखिए, हमने एक पहल की है। हमने कहा कि महिलाएं अपनी शक्ति पहचानो। एकजुट हो जाए। एक नारा दिया आपको – लड़की हूं, लड़ सकती हूं। एक घोषणा पत्र निकाला, जिसमें सिर्फ महिलाओं के लिए हम क्या करना चाहते हैं, वो लिखा। क्या हुआ – बाकी पार्टियों ने घोषणा शुरु कर दी। आपका, आशा बहुओं का मानदेय बढ़ाया गया है, कल-परसों। अभी तक तो पांच सालों में नहीं किया गया था, अब क्यों कर रहे हैं, क्योंकि अब पहचान रहे हैं, ये महिला जागरुक हो गई हैं। महिलाएं समझ रही हैं कि उनमें शक्ति है।
परसों प्रधानमंत्री जी ऐसी पहली सभा करने जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने सिर्फ महिलाओं को बुलाया है। मैं तो बहुत खुश हूं। सारी पार्टियां अब महिलाओं के बारे में बात कर रही हैं। सारी पार्टियां कह रही हैं कि अरे अगर हमने महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया, तो ये हमें वोट ही नहीं देंगी। तो समझ रही हैं आप एक छोटी सी पहल से, अभी तो परिवर्तन आया ही नहीं है, लेकिन इस छोटी सी पहल से जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं, सब उठ गई हैं, जाग गई हैं। सब कह रही हैं कि महिलाओं के लिए कुछ तो घोषणा करनी पड़ेगी, हमें। छोटी-छोटी घोषणाएं कर रहे हैं। लेकिन एक मानसिकता होती है। आप सबने कहा, आपने कहा कि आप अगर इस मंच पर खड़ी हैं, तो आपकी मां आपके लिए लड़ी, संघर्ष किया।
कल मैं अमेठी में थी। मंच पर मेरी एक पुरानी सहेली आई, रमाकांति। रमाकांति को मैं 15 सालों से जानती हूं। 15 साल पहले जब मुझसे पहली बार मिली, स्वयं सेवक समूह में वो शामिल हुई थी। उसने मुझे अपनी कहानी बताई। मां-बाप ने उसे पढ़ाया नहीं, छठी क्लास से आगे। उसकी बेटी हुई, बहुत इच्छा थी कि बेटी को पढ़ाऊं। लेकिन क्या करे, परिवार वाले सहमत नहीं थे। तो जब सब खेतों में काम करने चले जाते थे, तो रमाकांति साड़ी के फॉल को सीती थी और चुपचाप से जब कोई घर पर नहीं था, तो जाकर एक दुकान में जहाँ पर साड़ी के फॉल बिकते थे, वहाँ जाकर वो बेचती थी। फिर जब पैसे इक्कट्ठे हो गए, उसने सोचा कि मैं अपनी बेटी को पढ़ाऊंगी। तो चुपचाप बेटी को तब स्कूल भेजना शुरु किया, जब किसी को पता ना चले कि बिटिया स्कूल जा रही है और पहले ही वापस ले आती थी। पकड़ी गई, सबने डांटा। ससुर जी, सासू जी ने डांटा, ऐसे-कैसे इसको तुम स्कूल भेज रही हो। तो रमाकांति ने कहा, उनसे एक सौदा किया कि मुझे इसको भेजने दो, इसकी पढ़ाई की फीस मैं भरुंगी। तो सब मान गए। तो रमाकांति जब मुझसे मिली, उसकी बेटी उसके साथ थी, कॉलेज पास कर लिया उसने, नौकरी ढूंढ रही है। तो मां संघर्ष करती है, किसलिए, वो क्यों चाहती है कि उसकी बेटी अपने पैरों पर खड़ी रहे – क्योंकि वो अपना संघर्ष अपनी बेटी को नहीं देना चाहती। वो नहीं चाहती कि उसकी बेटी का पूरा जीवन संघर्ष में बीते।
आपको कितनी बार कहा गया है, आप बताओ मुझे कि कितनी बार आपको कहा गया है कि आप महिला हो, बेटी महिला हो, तुम में सहने की शक्ति है, सह लो। बताओ, किस-किसको बताया गया है, हाथ उठाओ (जनसभा में बैठी सभी महिलाओं को पूछते हुए श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा), किस-किसने सुना है ये (सभी महिलाओं ने एक साथ हाथ उठाकर हाँ में जवाब दिया)। सबने सुना है ना। आज यहाँ खड़े होकर मैं कह रही हूं। आपको भगवान ने अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति दी है। उस शक्ति को पहचानो। सबसे बड़ी शक्ति क्या होती है लोकतंत्र में – वोट होता है। आप सबके पास है। सोच समझ कर इस वोट को दो। आज से यह तय कर लो कि जो महिला को सशक्त करने का काम नहीं करेगा, उसको वोट नहीं मिलेगा। इसका मतलब ये नहीं है कि एक शौचालय बना दिया, नहीं। इसका मतलब ये नहीं है कि एक गैस सिलेंडर पकड़ा दिय़ा, नहीं। ये वोट लेने का माध्यम है, ये आपको सशक्त करने का माध्यम नहीं है। आपको पढ़ाएं, लिखाएं, आपको नौकरी दें, रोजगार दें, आपको आगे बढ़ने की शक्ति दें। समाज में ऐसा बदलाव लाएं कि आपका शोषण ना हो। जब आप पर अत्याचार हो, तब आपकी सुनवाई हो। जहाँ-जहाँ मैं जाती हूं, महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, उल्टा आरोप महिला पर लग रहा है। उस पर आरोप लग रहा है कि उसने क्या किया। जब अत्याचार उस पर है। जहाँ-जहाँ जाती हूं, महिला आती है मेरे पास या उसका परिवार आता है, वो मुझसे कहते हैं कि हमारा एफआईआर दर्ज नहीं हो रहा है, उल्टा हम पर एफआईआर दर्ज कर दिए हैं अपराधी ने, अपराधी के परिवार ने।
तो ये जो हो रहा है, ये गलत है। बहुत सह लिया है, बहुत चुप रहे हैं। अरे कितनी बड़ी शक्ति, आधा देश, आधा प्रदेश, इतनी बड़ी शक्ति और आप अपनी शक्ति को पहचान नहीं रही हो। देखो ना, एक नारा दे दिया – लड़की हूं, लड़ सकती हूं। जितने भी नेता हैं, सब खड़े हो गए हैं, कि आपके लिए कुछ करना है। मानसिकता बदलनी है तो आप शुरुआत करिए। आपने बिल्कुल सही कहा कि अपने लिए खुद लड़ना पड़ेगा, लड़ो, मैं तुम्हारे साथ हूं। जितनी भी शक्ति मुझमें है, वो तुम्हारे साथ है। राजनीतिक शक्ति, कांग्रेस पार्टी की पूरी राजनीतिक शक्ति तुम्हारे पास है। मैं खड़ी होऊंगी तुम्हारे साथ और साथ में हम परिवर्तन लाएंगे। एक साथ होकर हम इस देश, इस प्रदेश को समझाएंगे कि महिलाओं को नकार नहीं सकते। महिला चुप नहीं रहेगी। अगर उसका शोषण होगा तो वो खड़ी हो जाएगी। अपना हक मांगेगी, आज से अपना हक मांग रही है।
इसलिए ये जो शक्ति विधान है, ये घोषणा पत्र है, इसमें तमाम ऐसी चीजें लिखी हैं, आपको पढ़ना चाहिए, आप सब यहाँ से जाते वक्त इसको लीजिए। इसका उल्लेख मैं नहीं करुंगी, आपने काफी कहा कि हमने इसमें क्या-क्या लिखा है। इसमें सिर्फ मोबाईल फोन, स्कूटी नहीं है, इसमें आपको सशक्त करने के लिए हर जिले में ऐसी पाठशालाएं बनाई जाएंगी, जो 9 से 12 वीं क्लास की महिलाओं को सशक्त करेंगी। उसमें आपको दक्षता की शिक्षा मिलेगी, ताकि आपको रोजगार मिल पाए। जितने भी इस प्रदेश में रोजगार देगी कांग्रेस पार्टी, उसमें से 40 प्रतिशत रोजगार महिलाओं को मिलेंगे।

इसी तरह से बहुत सारी घोषणाएं हैं, आशा बहुओं के लिए, आंगनबाडी के लिए कि आपको 10,000 रुपए का मानदेय मिलेगा। आप फिर उसके बाद, आपने कहा कि आप एक परिवार को पूरे साल के लिए देखती हैं। उसके लिए आपको कुछ पैसा मिलता है, वो अलग है। आपको मानदेय मिलेगा, उसके ऊपर से वो मिलेगा। एक गैस सिलेंडर की बात करते हैं, हम कहते हैं तीन लीजिए, क्योंकि सरकार दे सकती है। सरकार के पास बहुत पैसा है, सही जगह नहीं डाला जाता। बड़े-बड़े हवाई जहाजों में हमारे प्रधानमंत्री उड़ते हैं, 8,000 करोड़ का हवाई जहाज है। अगर उस 8,000 करोड़ को आपकी शिक्षा में डाल देते, तो क्या नहीं हो सकता है। अगर आपकी सेहत के लिए कोई इंतजाम होता, कोरोना में आशा बहुओं ने, आंगनबाडी की बहनों ने ही तो सबकी देखभाल की। ज्यादातर नर्स अस्पतालों में महिलाएं हैं। इतनी सारी महिलाएं डॉक्टर हैं। क्या किया सरकार ने, मदद की, उनको बोला कि आपने इतनी बड़ी सेवा की है देश की, हम आपको और सशक्त करेंगे- नहीं किया। इसलिए बहुत ही जरुरी है कि आज आप अपनी शक्ति समझें। देखिए, आज आप अपने लिए लड़ना शुरु नहीं करेंगी, तो कब करेंगी? मेरी इतनी नौजवान बहनें हैं, यहाँ पर, बच्चियां हैं स्कूल की, अपना भविष्य बनाना चाहती हैं, रोजगार चाहती हैं। अपने लिए लड़ना चाहती हैं। सरकार का काम है कि इनको सशक्त करें। सरकार का काम है कि आपको मौका मिले। तो मैं आपसे आग्रह करती हूं, आप हमें शक्ति दीजिए, हम आपको शक्ति देंगे। हम सब महिलाएं हैं, ठीक है, संघर्ष है हमारा जीवन, लेकिन हम लड़ना जानते हैं और जब हम खड़ी हो जाएंगी, एकजुट हो जाएंगी, तो कोई हमें रोक नहीं पाएगा।

तो मेरे साथ कहिए एक बार – मैं लड़की हूं – (सभी महिलाओं ने एक स्वर में कहा) लड़ सकती हूं। मैं लड़की हूं – (सभी महिलाओं ने एक स्वर में कहा) लड़ सकती हूं।

जय हिंद। धन्यवाद।

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