अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: राज्य सभा सांसद एंव सदस्य सीडब्ल्यूसी दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबका धन्यवाद। आज आपने समय निकाला और हमारी इस प्रेस वार्ता में आप पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता है क्योंकि संसद का सत्र समाप्त होने के बाद एक महत्वपूर्ण विषय पर, जिस विषय पर पहले भी आपके बीच हम आए थे, युवाओं की बेरोजगारी से जुड़ा, हमारी फौज और फौज की ताकत से जुड़ा, मजबूती से जुड़ा, अग्निपथ योजना से जुड़ा हुआ ये विषय है और साथ में देश के किसानों से संबंधित भी विषय है। क्योंकि देश की संसद के सत्र में आपने देखा होगा, लगातार हमने अग्निपथ योजना पर देश के नौजवानों की बेरोजगारी पर और किसानों के मुद्दों पर अलग-अलग नोटिस दिए, मगर इन मुद्दों को सरकार ने चर्चा के लायक नहीं समझा। ऐसे में हम आगे की रणनीति क्या रहेगी, हम किस प्रकार से नौजवानों की आवाज उठाएंगे, अग्निपथ योजना को लेकर हमारा क्या विरोध है और आगे किस प्रकार से हम अपनी आवाज उठाएंगे, उसकी जानकारी आपको मैं आज इस प्रेस वार्ता के माध्यम से देना चाहता हूँ।
सरकार से पहले तो हम सवाल ये पूछते हैं कि अग्निपथ योजना अगर राष्ट्रहित में है, तो संसद में इस पर चर्चा से सरकार क्यों भाग रही है? और मैं ये ऐसे ही नहीं कह रहा, हमने संसद सत्र में, रूल 267 के अंतर्गत नोटिस दिया, कॉलिंग अटेंशन का नोटिस दिया, शॉर्ट डिस्कशन का नोटिस दिया, यहाँ तक कि अग्निपथ योजना की जानकारी लेने के लिए हमने प्रश्न भी लगाने का काम किया, मगर सभी नोटिसों को तो खारिज किया ही किया सरकार ने, जो प्रश्न भी लगाए थे, वो प्रश्न भी सरकार ने खारिज कर दिए, रूल 47 (2)(29) का हवाला देकर जो प्रश्न स्वयं मैंने लगाया था और भी कई सांसदों ने लगाया था, दूसरी विपक्षी पार्टियों के। अग्निपथ योजना पर कोई प्रश्न आप नहीं पूछ सकते सरकार से, ये रूल 47 (2)(29) का सरकार ने हवाला देकर प्रश्न खारिज कर दिया और कहा कि सब्जुडिस मामला है।
ये पहली मरतबा मैंने ऐसा देखा है कि सरकार ने सब्जुडिस का बहाना लेकर, बहाना मैं इसलिए कहूँगा, कि आपने देखा होगा कि जब तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट में, जब सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत चल रहा था, उस समय भी संसद में चर्चा हुई थी। सरकार प्रश्न से भी भाग रही है, संसद में चर्चा से भी भाग रही है औऱ राष्ट्रहित में बता रही है। राष्ट्रहित में ये योजना है, तो हमारी बात संसद के पटल पर क्यों नहीं आ सकती, हम अपने प्रश्न क्यों नहीं पूछ सकते? सच्चाई ये है कि आज इस योजना से देश के युवाओं में, बहुत आक्रोश है। मगर आज सरकार के मंत्री ये बोल रहे हैं कि आक्रोश है तो इतने आवेदन क्यों आ रहे हैं? वो जो आवेदन हैं, वो सरकार की उपलब्धि नहीं है, विफलता है। कुल मिलाकर नेवी और एयर फोर्स के लगभग 6,000 पदों के लिए 18 लाख आवेदन आए हैं। ये सरकार इसको अपनी उपलब्धि बता रही है। आप नौजवानों की आज बेरोजगारी में जो मजबूरी है, उनका अपमान न करें, मैं सरकार से कहना चाहता हूँ। आज ऐसी स्थिति हो गई है, हरियाणा के कोर्ट में 15 चपरासियों की नौकरी निकली, वहाँ पर 6 लाख बच्चों ने आवेदन करने का काम किया, ये बेरोजगारी का आलम है। तो दूसरा आक्रोश युवाओं में बहुत है, लेकिन एक कारण जो आंदोलन चल रहे थे, उन आंदोलनों की आपको विजिबिलिटी दिख नहीं रही है, उसका कारण ये है कि तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्षों ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कहा कि अगर विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई देखा जाएगा, किसी का नाम आ जाएगा, तो सेना में अग्निवीर के लिए वो अयोग्य माना जाएगा। तो एक तरफ बेरोजगारी, एक तरफ अपने भविष्य की चिंता और दूसरी तरफ इस तरह की स्थिति, आप अंदाजा लगा सकते हैं।नौजवानों में तो इसमें आक्रोश है ही, मैं एक उदाहरण भी देना चाहूंगा, कल हमारी एक बेटी मैडल लेकर आई, कॉमनवेल्थ गेम्स में, हरियाणा से, मैं उनके कार्यक्रम में गया हुआ था। उनको जब शाबाशी दी, सम्मान किया, उसके बाद उनके भाई मिले, उनके भाईयों ने कहा कि मैं फौज में हूँ, फलां बटालियन में हूँ, तो मैंने कहा बहुत बढ़िया, खुशी की बात है। तो जब हम वहाँ से जाने लगे, तो कहने लगा, भाई साहब, पक्की फौज में हूँ और सारे, तो ये आप समझें, मानसिकता समझें। ये आप भी जान रहे है, हम भी जान रहे हैं, 4 साल का अग्निवीर कोई नहीं बनना चाहता, लेकिन मजबूरी है।
दूसरा, जो हमने शुरु में ही कहा था कि हम इस योजना का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि ये योजना न देश की सुरक्षा के हित में हैं, न देश की फौज के हित में हैं, न नौजवानों के भविष्य के हित में हैं। हमारे देश की फौज, जो बेहतरीन फौज मानी गई, सबसे अच्छी फौज मानी गई, आज उसकी नींव हिलाने का काम आपने ऐसा कर दिया। पिछले 3 साल से, 2-3 साल से भर्ती नहीं और कहा गया कि भर्ती इसलिए नहीं क्योंकि कोरोना है। अगर कोरोना की वजह से भर्ती नहीं हो रही थी, तो फिर ये अग्निवीर क्यों लाए? अगर अग्निवीर अच्छी थी, तो इसका टाइमिंग बड़ा संदेहात्मक है कि पहले कहा कि कोरोना की वजह से भर्ती नहीं की, 2 लाख पद फौज में रिक्त हो गए, उसका प्रेशर बना पूरे देश में और बेरोजगारी जब आसमान छूने लगी, इतना प्रेशर आ गया, तो एकदम से आप इस तरह की योजना लेकर आए औऱ दूसरा आपने कहा एक और जो ये कह रहे हैं, दलील दे रहे हैं कि पैसा नहीं है खजाने में, पेंशन देने के लिए। जो वन रैंक, वन पेंशन, जिसका उद्घोष प्रधानमंत्री जी ने हरियाणा की वीर भूमि से किया था, रेवाड़ी से किया था, वन रैंक, वन पेंशन, अब नो रैंक, नो पेंशन, खजाने में पैसा नहीं है। या तो सरकार के खजाने में फौज के लिए पैसा नहीं है, ये बात है या सरकार फौज की जरुरत ही नहीं समझ रही है, बताए सरकार कि ये कौन सी बात सही है?इसके साथ-साथ इससे जुड़े हुए 2-3 और मसले हैं। एक तो ये 2 साल तक की जो रिक्रूटमेंट है, ये कैंसिल हो गई, इसमें कई तो ऐसे हैं, जिनकी पूरी रिक्रूटमेंट हो गई थी, उनको बस अपॉइंटमेंट मिलनी बाकी थी, उनकी रिक्रूटमेंट ही कैंसिल हो गई एयरफोर्स के अंदर, बहुत से पदों पर। तो जितने दो साल तक थोड़ी बहुत रिक्रूटमेंट भी हुई, वो सारी कैंसिल हो गई। तो ऐसे में अब देश में अलग-अलग संगठन अग्निपथ योजना के विरोध में जागृति लाने के लिए और अभियान चलाने के लिए सामने आ रहे हैं, इसमें एक संयुक्त किसान मोर्चा और युनाईटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन। संयुक्त किसान मोर्चा, जिसमें 400 किसान संगठन शामिल हैं, देश के और युनाईटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन, जिन्होंने ओआरओपी की लड़ाई लड़ी, वन रैंक, वन पेंशन की, जिसमें 150 एक्स सर्विसमैन के संगठन देश के शामिल हैं। ये लोग मिलकर और इनके साथ कुछ अनएम्प्लॉएड यूथ की भी ऑर्गेनाइजेशन है, तो तीन- किसान का संगठन, एक्स सर्विसमैन, यानि के जवान का संगठन और बेरोजगार नौजवान का संगठन, ये सभी मिलकर, इन्होंने एक अभियान की शुरुआत की है, ‘जय जवान, जय किसान अभियान’। 7 से 14 अगस्त तक इसके पहले चरण में देश के कोने-कोने में ये जागरुकता सेमिनार इस अभियान के माध्यम से कर रहे हैं और उसके बाद, 14 अगस्त के बाद, 15 अगस्त के बाद, अगला चरण, इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे।
आज कांग्रेस पार्टी पूर्ण रूप से जय जवान, जय किसान अभियान, जो संयुक्त किसान मोर्चा और युनाईटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन द्वारा शुरु किया गया है, उसको हम समर्थन देते हैं। इस अभियान की भी मुख्य 4 ही मांगे हैं। अग्निपथ वापस हो, 2 साल तक जो रिक्रूटमेंट है, वो सारी बहाल हो, जिसमें एयरफोर्स की भी रिक्रूटमेंट शामिल है, हम उसको समर्थन देते हैं। सारे जो मुकदमे बने और तीनों फोर्सेस के हमारे प्रमुखों ने जो कहा कि अगर किसी की शक्ल देखी गई, तो उसको अग्निपथ या फौज में…,तो जो प्यूनिटिव (Punitive) मेजर्स थे, उनको सबको वापस लिया जाए और डिफेंस को प्राईवटाइजेशन की तरफ न दिया जाए, सरकार को अपनी सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में रखनी चाहिए। इसके साथ इस तरह खिलवाड़ न हो। ये चार मांगें हैं।इसके साथ-साथ, ये तो जवान की बात आ गई, जय जवान, जय किसान। मैंने कहा कि जय जवान, जय किसान अभियान, जवान के साथ किसान हम नहीं भूल सकते। जो किसान आंदोलन हुआ, जिसमें 750 किसानों ने अपनी जान कुर्बान की, देश ने ऐसा आंदोलन नहीं देखा। एक साल से ज्यादा वो आंदोलन चला, उसके बाद किसान संगठनों के साथ, किसानों के साथ देश की सरकार का समझौता हुआ, मगर मैं आपको बताना चाहता हूँ, किसानों के साथ भी धोखा, बेरोजगार नौजवानों के साथ धोखा और किसान के साथ धोखा भी इस सरकार ने किया। उस आंदोलन के समझौते में प्रधानमंत्री जी ने स्वयं और देश की सरकार ने कहा था, कमेटी बनेगी, एमएसपी लीगल गारंटी पर। वो कमेटी तो खानापूर्ति कमेटी सरकार ने बनाई है। लेकिन उस कमेटी का भी बहिष्कार संयुक्त किसान मोर्चा ने भी किया है, देश के तमाम किसान संगठनों ने भी किया है और हम भी उस कमेटी को पूर्णतः रिजेक्ट करते हैं।उस कमेटी को क्यों रिजेक्ट करते हैं, पहली बात तो उसकी जो टर्म्स ऑफ रेफरेंस है, उसमें एमएसपी लीगल गारंटी, कानूनी बाध्यता, न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की किसानों की, उसके लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस में दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं दिया गया। दूसरा हम क्यों रिजेक्ट करते हैं, उसमें तमाम कमेटियों के जितने सदस्य हैं, उन सदस्यों के व्यूज सबको पता हैं, 29 लोगों की कमेटी में लगभग सभी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने मुखर रूप से किसान आंदोलन के विरोध में अपने बयान दिए, तीन कृषि कानूनों के पक्ष में बयान दिए। सरकार की नीयत का आप अंदाजा लगा सकते हैं और बहुत से लगभग ऐसे लोग हैं, जो इस कमेटी में, 29 सदस्यीय एमएसपी कमेटी में ऐसे लोग सरकार ने बैठा दिए, जिनको गेहूँ के पौधे और धान के पौधे में फर्क नहीं पता। जिनको गेहूँ के पौधे और धान के पौधे में फर्क नहीं पता, वो अब किसान के भाग्य का फैसला करेंगे। उनके हाथ में आपने देश के किसान के भाग्य की कलम दे दी। बड़े दुर्भाग्य की बात है, आज इस प्रकार की कमेटी बनी। सरकार केवल किसानों की आँखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। तो आज देश के किसान के साथ भी धोखा, देश के नौजवान के साथ भी धोखा, देश के जवान के साथ भी धोखा, इसलिए जय जवान, जय किसान और संसद सत्र से पहले आपके बीच में आए थे, तमाम ये मुद्दे रखे थे और हमने कहा था संसद में उठाएंगे, आपने देखा, देश गवाह है, संसद के अंदर इन मुद्दों को उठाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी। हमने प्रयास किया बार-बार, हर तरह का नोटिस दिया, जितने भी रुल्स अवेलेबल हैं, कोई रुल नहीं, रूल्स ऑफ प्रोसीजर की किताब के किसी पन्ने में कोई ऐसा नियम नहीं है जिसके तहत हमने नोटिस नहीं दिया हो। स्वयं मैंने नोटिस दिया, राज्यसभा में विपक्ष की तरफ से, प्रश्न लगाए, लेकिन उन सबको खारिज कर दिया गया। हर रोज खारिज किया गया, यहाँ तक कि तारांकित प्रश्न छोड़िए, सामान्य प्रश्न भी एडमिट नहीं हुआ। अग्निपथ योजना को प्रश्नों से ऊपर उठा दिया गया, इस पर प्रश्न ही नहीं पूछ सकते आप, तो हमारा बार-बार…।
आखिर में जहां से शुरुआत की थी, मैं समाप्त करता हूँ, अपनी बात, कि सरकार बताए कि अगर अग्निपथ योजना राष्ट्रहित में है तो सरकार संसद में चर्चा से क्यों भाग रही है? क्यों वहां पर हमारी बात सुनने में कि 4 साल में बिना पेंशन रिटायरमेंट आप भेज देंगे, उससे देश की फौज कैसे कमजोर होगी। देश की फौज की संख्या 16 लाख से घटकर आने वाले दिनों में 8 साल के बाद 7 लाख रह जाएगी, उससे देश की फौज कमजोर क्यों होगी। दूसरे मुल्क, रुस जैसे मुल्क 5-5 साल की ट्रेनिंग देते हैं, कॉम्बैट फोर्सेस को, आप तो 4 साल बाद बिना पेंशन रिटायरमेंट भेज रहे हैं, इससे आपकी फौज कमजोर होगी। नाम, नमक और निशान, जो रेजिमेंट स्ट्रक्चर है फौज का, जिस पर हिंदुस्तान की फौज की नींव, दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फौज, जिस भावना से फौजी लड़ता है, उससे आप अगर छेड़-छाड़ करेंगे, तो फौज कमजोर होगी, ये प्रश्न उठाने की हमें इजाजत दी जाए। इसमें और एक क्लॉज आया है, अग्निपथ योजना से जुड़ी हुई बात है, एक और क्लॉज आया है, ऑल इंडिया, ऑल क्लास। आज भी हमारी जो फौज है, वो ऑल इंडिया, ऑल क्लास की फौज है, इसको आपने किस रुप में, जो आपने कहा, आपको क्या आवश्यकता पड़ी, ये कहने की- ऑल इंडिया ऑल क्लास? आज भी फौज ऑल इंडिया ऑल क्लास है, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है, कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ परम्परागत रुप से फौज में भर्ती ज्यादा होती है औऱ उसी आधार पर रीजनल बैलेंस को केयरफुली ध्यान में रखते हुए और हमारी फौज की मजबूती को रखते हुए रिक्रूटमेंट मेल पॉप्यूलेशन हर प्रदेश की निर्धारित करके, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, कुछ ऐसे प्रदेश हैं, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, जहाँ फौज की अधिक भर्ती रहती है। आज आपने उस प्रिंसीपल के साथ खिलवाड़ जो किया है, उसमें जहाँ इन प्रदेशों के नौजवानों का नुकसान तो है ही, उदाहरण के तौर पर हरियाणा से आज की परिस्थिति में, पहले की परिस्थिति में, पक्की जो भर्ती होती थी तो 5 हजार भर्ती हर साल होती थी, 5 हजार पक्की भर्ती। अब 963 अग्निवीर ही भर्ती होंगे, जिनमें से 240 पक्के होंगे, वो भी 4 साल के बाद। कहाँ 5 हजार पक्के हो रहे थे, अब 240 होंगे, बाकी बिना पेंशन के रिटायरमेंट मगर दूसरी बात प्रश्न ये भी उठता है, कई चीजें हैं, जहाँ पर आप पूर्णतः फौज की मजबूती, रीजनल बैलेंस सारी बातें देखकर जो आप चलते हैं, जैसे खेल हैं, आज अगर वहां पर प्रपोर्शनेट जनसंख्या के आधार पर हमारे कंटीजेन्ट्स को भेजेंगे, तो वहाँ पर कहीं न कहीं आपकी मैडल टैली भी प्रभावित होगी। तो कई ऐसी चीजें हैं, जहाँ पर परम्परागत रुप से, कुछ ऐसे प्रदेश हैं, जहां पर खेल खेले जाते हैं, इसी प्रकार से परम्परागत रुप से कुछ ऐसे प्रदेश हैं, जहाँ से फौज ज्यादा आती है, इस बात को आपको स्वीकार करना चाहिए था, लेकिन आपने इन सबके साथ छेड़-छाड़ की है। आज एक बार फिर हम आपका धन्यवाद करते हैं और आखिर में, जो ये हमने जय जवान, जय किसान अभियान का समर्थन किया है, स्वयं कांग्रेस पार्टी भी 15 अगस्त के बाद, जैसे हमने, आपने देखा महंगाई पर संसद में भी लड़ाई लड़ी और सड़क पर भी लड़ाई लड़ी, 15 अगस्त के बाद बेरोजगारी, अग्निपथ योजना की वापसी पर भी कांग्रेस पार्टी सड़क पर आकर लड़ाई लड़ेगी। संसद में हमने पुरजोर प्रयास किया। सरकार ने हमें संसद में आवाज उठाने की अनुमति नहीं दी, इसका मतलब ये नहीं है कि हमारी आवाज दब जाएगी। हम अग्निपथ और बेरोजगारी योजना पर एक एजीटेशनल कैंपेन 15 अगस्त के बाद शुरु करेंगे। हम समर्थन करेंगे, जय जवान, जय किसान अभियान का और वहीं स्वयं कांग्रेस पार्टी और हमारे जो फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन्स हैं, मुख्यतः यूथ कांग्रेस, हम जमीनी स्तर पर भी ये एजीटेशनल कैंपेन शुरु करेंगे।