अरबिंद उत्तम की रिपोर्ट
ग्रेटर नॉएडा:कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन के कारण बंद कम्पनिया और फैक्टरियां के पास जब बढ़ा हुआ बिजली का बिल आया तो उनके होश उड़ गए। बंद पड़ी इंटीरियर डिज़ाइन की कंपनी का बिल 33 हज़ार रूपए आया जबकि उसका बिल हमेशा 15 से 16 हज़ार ही आता था । जब कंपनी के मालिक ने इस मामले पर एनपीसीएल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कोई कर्मचारी न होने की बात कह कर टाल दिया। इंडियन इंड्रस्ट्रीज एसोसिएशन का कहना है उन्हे भी काफी शिकायते मिली है, की काफी कम्पनियो के बन्द होने के वावजूद भी ज़्यादा बढ़कर बिल आए है। इसके लिए एनपीसीएल से बात चल रही है ।
तस्वीरों में आप देख सकते है ये एस ए इंटीरियर डिज़ाइन की कंपनी का वर्क शॉप है। जहां लॉक डाउन खत्म होने के बाद धीरे-धीरे काम शुरू हो गया है। जब बिजली का बिल आया तो उनके होश उड़ गए। कंपनी के मालिक बताते हैं कि उन्होने मार्च तक का बिल जमा किया था और हर महीने इनका बिजली का बिल लगभग 15 हज़ार के करीब आता था। लेकिन अब जब ये पूर्ण तरीके से लॉक डाउन का पालन कर रहे थे और कंपनी बन्द थी उनकी कंपनी का एक महीने का बिल डबल आया। जब उन्होनें एनपीसीएल के अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि अब आप बिल जमा कर दो बाद में देखा जाएगा जब सब कर्मचारी काम पर वापस आ जाएंगे। एक तो लॉकडाउन में किराए की दिक्कत, काम बंद होने के बाद भी यहां पर सरकार के आदेश का जमकर उल्लंघन किया गया। काम ठप और उसके बाद भी मोटी रकम का किराया देना कोई छोटी बात नही, उनसे किराया तो वसूला ही गया। उसके बाद में उनका बिल भी बढ़कर आया जबकि उन्होनें उसके बाद अपनी कंपनी बन्द कर दी थी। उसके बाद भी दुगना बिजली का बिल सोचने वाली बात तो आखिर है ही। इंडियन इंड्रस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूराम भाटीका कहना है उन्हे भी काफी शिकायते मिली है, की काफी कम्पनियो के बन्द होने के वावजूद भी ज़्यादा बढ़कर बिल आए है। इसके लिए एनपीसीएल से बात चल रही है । फिलहाल एनपीसीएल से इस मुद्दे पर बोल ने को तैयार नही है ।