अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली सचिवालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि आज पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण का जो स्तर है, यह बिल्कुल अनुकूल समय है, जो हमें इस बात का एहसास कराता है कि दिल्ली में अधिक से अधिक पेड़ों की कितनी जरूरत है I उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ आज सरकारें, विभिन्न एनजीओ, स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे पेड़ लगा रहे हैं, वृक्षारोपण कर रहे हैं, वहीं राजधानी दिल्ली में एक एनजीओ के द्वारा पेड़ों को काटने का एक मामला उठाया गया, जिसके अंतर्गत राजधानी दिल्ली के सतबड़ी इलाके में एक वन्य क्षेत्र में केंद्र सरकार की डीडीए द्वारा चोरी छिपे 1670 पेड़ों को बिना सुप्रीम कोर्ट की परमिशन के गैरकानूनी तरीके से काट दिया गया. उन्होंने कहा हालांकि उपराज्यपाल के कार्यालय से और डीडीए की ओर से यह बात कही जा रही है, कि 1100 पेड़ नहीं बल्कि 642 पेड़ काटे गए हैं. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट के मुताबिक छतरपुर के सतबड़ी वन्य क्षेत्र में लगभग 1670 पेड़ काटे गए. उन्होंने कहा कि हम तो केवल 1100 पेड़ काटे जाने की ही बात कह रहे थे, परंतु सर्वे के मुताबिक उससे भी अधिक पेड़ काटे गए हैं. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा हालांकि डीडीए ने फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट को भी गलत बताते हुए यह कहा, क्योंकि रोड को चौड़ा करने की एलाइनमेंट बदल दी गई थी इसीलिए यह सर्वे रिपोर्ट सही नहीं है. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने डीडीए की इसी बात का समर्थन करते हुए कहा, कि हम भी पिछले कई महीनो से लगातार इसी बात को कह रहे हैं, कि उस सड़क के एक तरफ वन्य क्षेत्र है और दूसरी तरफ बड़े-बड़े फार्म हाउस बने हुए हैं, उन्होंने कहा कि कुछ फार्म हाउस के मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए डीडीए ने सड़क के चौड़ीकरण की एलाइनमेंट को बदलकर जहां सड़क फार्म हाउस की तरफ से चौड़ी की जानी थी, उसके बदले वन्य क्षेत्र की तरफ पेड़ों को कटवाकर सड़क चौड़ी करने का काम किया गया. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस बारे में डीडीए से प्रश्न पूछते हुए कहा, कि यदि सड़क को चौड़ा करने के लिए एलाइनमेंट बदल दी गई थी तो फिर डीडीए ने पुराने एलाइनमेंट के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट में पेड़ों को काटने की परमिशन क्यों मांगी? साथ ही साथ उन्होंने डीडीए की बात को झूठा करार देते हुए कहा कि इस बात से यह साबित होता है, कि ऑन रिकॉर्ड डीडीए रोड के चौड़ीकरण के एलाइनमेंट को नहीं बदल पाई, क्योंकि यूटी पैक की किसी भी मीटिंग के अंदर वह एलाइनमेंट नहीं बदली गई, यूटीपैक की सभी मीटिंग्स के मिनिट्स का रिकॉर्ड उनकी वेबसाइट पर मौजूद है. उन्होंने कहा कि उस रोड के सभी नक्शे यूटी पैक की वेबसाइट पर मौजूद है. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केवल और केवल कुछ फार्म हाउस के मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए जहां नक्शे के मुताबिक फार्म हाउस की तरफ से जमीन को एक्वायर करके सड़क का चौड़ीकरण किया जाना था वहां फार्म हाउस को छोड़कर वन्य क्षेत्र की ओर से पेड़ों को काटकर सड़क को चौड़ा किया गया. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पत्रकारों के समक्ष सुप्रीम कोर्ट का 24 अक्टूबर 2024 का एक आदेश रखते हुए बताया, कि इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल से पूछा है, कि आपको कब पता चला कि सतबड़ी वन्य क्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से 1100 पेड़ काटे गए हैं, तो उसके जवाब में उप राज्यपाल ने हलफनामा दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुझे 10 जून 2024 को इस बात का पता चला, कि सतबड़ी वन्य क्षेत्र में पेड़ काटे गए हैं. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए इस हालतनामें को भी झूठा करार देते हुए कहा, कि डीडीए के उपाध्यक्ष ने अपने एक पत्र में उप राज्यपाल को जो लिखा गया था, उसमें साफ तौर पर डीडीए के उपाध्यक्ष ने कहा है, कि मैंने यह बात आपको 12 अप्रैल 2024 को भी बताई थी. अर्थात उप राज्यपाल ने ख़ुद माना कि उनको यह बात अप्रैल के महीने में ही पता चल गई थी, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने भी उपराज्यपाल को कहा कि हलफनामे में आपके द्वारा दी गई जानकारी गलत है, आप दोबारा से सही जानकारी का हालतनामा दाखिल कीजिए. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक राज्य के उपराज्यपाल द्वारा इस देश की सबसे बड़ी अदालत में लिखित में अपने हलकान में झूठ लिखकर देना इससे बड़ी गंभीर और शर्म की बात और कोई नहीं हो सकती. इस मामले से जुड़ी एक और अहम बात पत्रकारों के साथ साझा करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि डीडीए की ओर से और उपराज्यपाल की ओर से देश की सर्वोच्च अदालत में झूठ बोले जाने को लेकर जिस एनजीओ ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, उन्होंने कोर्ट से अपील करी की डीडीए की इस मामले से संबंधित सभी फाइलें मंगाई जाए और उनको आदेश दिया जाए की अपीलकर्ता एनजीओ को सभी फाइलें जांच के लिए दिखाई जाए, ताकि इस मामले की सच्चाई सामने आ सके. सुप्रीम कोर्ट ने अपील कर्ता की बात का संज्ञान लेते हुए डीडीए को आदेश दिया था, कि इस मामले से जुड़ी सभी फाइलें जांच के लिए अपील कर्ता को दिखाई जाए. उन्होंने बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई थी और सुनवाई के दौरान बेहद ही निंदनीय और शर्मनाक बात जो निकलकर सामने आई वह थी, कि अपील कर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद डीडीए ने इस मामले से जुड़ी फाइल नहीं दिखाई. पत्रकारों के माध्यम से उपराज्यपाल विनय सक्सेना से प्रश्न पूछते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि आखिर ऐसा क्या कारण है, कि आप अपील कर्ताओं को इस मामले से जुड़ी फ़ाइलें भी दिखाने से बच रहे हैं? मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस मामले में उपराज्यपाल और डीडीए शुरू से ही झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब यह मामला पहली बार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया था तो उपराज्यपाल के वकीलों ने और डीडीए ने इस बात को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा था, कि उपराज्यपाल पेड़ काटने वाली जगह पर कभी गए ही नहीं थे. परंतु जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी अधिकारियों से एक-एक कर अलग-अलग उनका हलफनामा इस संबंध में मांगा तब जाकर डीडीए के एक अधिकारी ने अपने हलफनामे में इस बात को स्वीकार किया, कि 3 फरवरी को उपराज्यपाल उस जगह पर गए थे जहां गैर कानूनी तरीके से 1760 पेड़ काटे गए. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा केवल यही झूठ नहीं बल्कि लगातार उपराज्यपाल के कार्यालय से और डीडीए की ओर से यह बात भी छुपाई गई, कि जब 3 फरवरी को उपराज्यपाल सतबड़ी वन्य क्षेत्र का दौरा करने गए थे, तो उसे वक्त उपराज्यपाल के साथ उस वक्त के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार, प्रिंसिपल सेक्रेटरी एनवायरमेंट एके सिंह, डिविजनल कमिश्नर अश्वनी कुमार और जल बोर्ड के सीईओ अंबरासू भी उस जगह पर मौजूद थे.इस मामले से जुड़ी एक और अहम बात पत्रकारों के साथ साझा करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि इस मामले में आज तक किसी के द्वारा यह नहीं बताया गया, कि आखिर किसके आदेश पर यह पेड़ गैरकानूनी तरीके से काटे गए. उन्होंने कहा कि वह तो डीडीए के एक इंजीनियर इंचार्ज द्वारा ठेकेदार को की गई ईमेल की जांच से पता चला कि यह पेड़ उपराज्यपाल के मौखिक आदेश पर गैरकानी तरीके से काटे गए थे. ईमेल के संबंध में जानकारी देते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा की डीडीए के इंजीनियर ने पहली ईमेल 6 फरवरी को की थी. जिसमें लिखा था, कि पेड़ों को काटने की परमिशन नहीं मिली है और दो ईमेल 14 फरवरी को लिखी गई थी, जिसमें डीडीए के इंजीनियर इंचार्ज ने यह लिखा था, कि उपराज्यपाल की ओर से पेड़ों को काटने के मौखिक आदेश दिए गए हैं, लिहाजा पेड़ों को काट दिया जाए . मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस मामले में भी डीडीए के वकील द्वारा झूठ बोला गया, कि यह ईमेल आईडी हैक हो गया था, हमें नहीं पता कि यह ईमेल किसके द्वारा भेजे गए हैं . मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा की डीडीए को यहां पर भी अपना झूठा स्वीकार करना पड़ा. क्योंकि न केवल यह ईमेल की गई थी बल्कि जब वह पेड़ काटे जा रहे थे तो डीडीए विभाग के कई बड़े-बड़े अधिकारियों के फोन की लोकेशन इस वन्य क्षेत्र की लोकेशन के साथ मैच पाई गई, जहां पेड़ काटे जा रहे थे. अतः डीडीए को यह बात भी स्वीकार करनी पड़ी कि यह ईमेल हैक नहीं हुई थी और यह ईमेल सही है. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब इस मामले में डीडीए और उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से एक और झूठ लगातार बोला जा रहा है, कि किसी भी बड़े अधिकारी को इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, कि गैरकानूनी तरीके से यह पेड़ कटवाए गए. उनकी ओर से ऐसा दिखाया जा रहा है, कि जेई, एई और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की मिली भगत से यह पेड़ काटे गए. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मीडिया के बंधुओं से प्रश्न करते हुए पूछा, कि क्या ऐसा संभव है, कि तीन छोटे स्तर के अधिकारी मिलकर के एक साजिश के तहत किसी वन्य क्षेत्र में इतने बड़े स्तर पर सैकड़ों पेड़ काट सकते हैं? उन्होंने कहा कि यदि उपराज्यपाल और डीडीए की बात को मान भी लिया जाए, तो ऐसा कैसे संभव है कि इतने बड़े स्तर पर सतबड़ी वन्य क्षेत्र में पेड़ काटे जा रहे थे और किसी भी फॉरेस्ट अधिकारी को कानोकान इसकी खबर नहीं हुई, कोई पुलिस अधिकारी इतने दिनों वहां पर गश्त करने ही नहीं गया, करोड़ों रुपए की लड़कियां काटकर वहां से गायब कर दी गई और किसी को कानों कान खबर ही नहीं हुई ऐसा कैसे संभव हो सकता है? मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि क्या उपराज्यपाल विनय सक्सेना जी को लगता है, कि दिल्ली की जनता मुर्ख है, कि उनके कहने पर यह मान लिया जाएगा, कि एक छोटे स्तर के अधिकारी और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की मिली भगत से 1670 पेड़ गैर कानूनी तरीके से काटे जा सकते हैं?मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पत्रकारों के माध्यम से एक और बड़ा प्रश्न पूछते हुए कहा, कि क्या पिछले कई महीनों से डीडीए और उपराज्यपाल के कार्यालय से इतने बड़े-बड़े वकीलों को कोर्ट में पेश करके जेई, एई और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर स्तर के अधिकारियों को बचाने की कवायद चल रही है? उन्होंने कहा कि यदि जेइ, एई और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने मिलीभगत करके सतबड़ी वन्य क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ कटवाए और डीडीए के उपाध्यक्ष के पत्र के मुताबिक 12 अप्रैल 2024 को उपराज्यपाल महोदय को यह जानकारी दे दी गई थी, तो बात बात पर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले उपराज्यपाल ने इस मामले पर कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने अभी तक उन अधिकारियों को बर्खास्त क्यों नहीं किया? क्यों नहीं उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही उपराज्यपाल की ओर से अब तक की गई? मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक बात समझ के बिल्कुल पड़े है, कि आखिर उप राज्यपाल दय इन जेइ, एई और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को बचाने में क्यों लगे हुए थे यदि इन लोगों ने एक साजिश के तहत सैकड़ों पेड़ों को कटवाया? प्रश्न पूछते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब उपराज्यपाल को 12 अप्रैल को ही डीडीए के उपाध्यक्ष ने यह जानकारी दे दी थी, तो राज्यपाल ने कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? दूसरी बात कि जब फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बता रही है कि लगभग 1670 पेड़ काटे गए हैं, तो राज्यपाल उसकी संख्या घटकर 642 पेड़ क्यों बता रहे हैं ? उन्होंने कहा कि इस मामले में तीसरी अहम बात यह है, कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अपील कर्ताओं को इस मामले से जुड़ी फाइलें डीडीए द्वारा क्यों नहीं दिखाई जा रही है? आखिर उन फाइलों में ऐसा क्या राज छुपा है जिसको नहीं दिखाया जा रहा है? या फिर मामले की नई फाइलें चोरी छुपे तैयार की जा रही है?इस मामले से जुड़ी एक सबसे अहम बात पत्रकारों के साथ साझा करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि कोर्ट के समक्ष अपील कर्ताओं ने यह बात कही है, कि जब से उन्होंने कोर्ट में सतबड़ी वन्य क्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से काटे गए पेड़ों के संबंध में याचिका लगाई है, तब से उन्हें फोन पर धमकियां मिल रही है, उनके बैंक अकाउंट सीज करने की धमकी दी जा रही है, उनके बैंक से उन्हें फोन आ रहे हैं, कि पुलिस बैंक जाकर उनके अकाउंट की जांच कर रही है, अलग-अलग तरह से अपील कर्ताओं को प्रताड़ित करने की और डराने की कोशिश की जा रही है I मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जेई, एई और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को बचाने के लिए पूरा पुलिस महकमा अपील कर्ताओं के पीछे लगा दिया गया है, यह बात कतई हजम नहीं होती ? उन्होंने कहा कि इस मामले में सभी बड़े-बड़े अधिकारियों को और उपराज्यपाल को पूरी जानकारी थी, जानबूझकर मामले को घुमाने की और कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.
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