अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोएडा के ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण कल 28 अगस्त को दोपहर 2:30 बजे महज 12 सेकंड में होगा। उससे पहले बगल की सुपरटेक एमरल्ड और एटीएस विलेज में रहने लोगों ने अपने घरों को पर्दे लगा लिए हैं। साथ ही जरूरी सामान को पैक कर लिया। ये लोग रिश्तेदार और होटलों में शिफ्ट हो रहे हैं। वहीं नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने तैयारियों को लेकर गाजियाबाद में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। करीब 20 मिनट में उन्होंने सीएम को ट्विन टावर और उसको गिराने की सुरक्षा तकनीक के बारे में बताया।
ध्वस्तीकरण से पहले शनिवार को एडिफिस के मालिक जिगर चड्डा ने विधायक पंकज सिंह को ट्विन टावरों को गिराने की तैयारियां के बारे में जानकारी दी। इस तस्वीर में काले रंग की जो डिवाइस आप देख रहे हैं इसे डायनेमो कहते हैं, रविवार को इसके बटन को दबाकर ब्लास्ट किया जाएगा। 48 साल के चेतन दत्ता भारत के जाने-माने ब्लास्टर है, चेतन दत्ता को रविवार को 2:30 बजे हरे बटन को दबाकर ब्लास्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है. तैयारियां पूरी की जा चुकी है टॉवरों को गिराने का काम एडिफिस और जेट डिमोलेशन कंपनियों के अफसरों ने वायरिंग चेक की। सियान और एपेक्स, दोनों टावर में 9600 होल करके 3 हजार 500 किलो बारूद भरा गया है।
बारूद को इलेक्ट्रिक वायर से जोड़ दिया गया है। कल 28 अगस्त की दोपहर 12 से डेढ़ के बीच में सियान और एपेक्स टॉवर के वायर को कनेक्ट किया जाएगा। 2 बजे वायरिंग को 100 मीटर दूर ट्रिगर से कनेक्ट किया जाएगा। दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर वहां मौजूद पुलिस ऑफिसर क्लीयरेंस देंगे। 2.30 बजे चेतन दत्ता के बटन दबाते ही 12 सेकंड में दोनों टॉवर ध्वस्त हो जाएंगे। नोएडा पुलिस ने ट्रैफिक डायवर्जन का प्लान भी तैयार कर दिया है ध्वस्तीकरण ठीक 15 मिनट पहले एक्सप्रेसवे पर डायवर्जन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। नोएडा एक्सप्रेसवे पर ब्लास्ट के बाद धूल हटने तक वाहनों की आवाजाही पूर्ण रूप से बंद रहेगी। लोग गूगल मैप का भी इस्तेमाल कर सकेंगे। इस पर ट्विन टावर व एक्सप्रेस वे पर डायवर्जन की व्यवस्था को अपडेट किया गया है।
ट्विन टावर को जोड़ने वाले सभी मार्गों पर डायवर्जन लागू कर दिया गया है। रविवार सुबह सात बजे से इन मार्गों पर और सख्ती बरती जाएगी। सात बजे के बाद ट्विन टावर की तरफ किसी को नहीं जाने दिया जाएगा। इन ट्विन टावर्स को ढहाने में कुछ चुनौतियां सबसे बड़ी हैं पहली कि टावर का मलबा प्लान के मुताबिक सीधे नीचे गिरे क्योंकि नौ मीटर दूर रिहायशी इमारत हैं … मलबे निकलने वाली धूल को कितना कम किया जा सकता है क्योंकि धूल का गुबार निकलेगा और आखिरी चुनौती कि कंपन से आसपास की इमारतों में दरार न आए
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