अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार पराली जलाने की चुनौतियों को आर्थिक लाभ के अवसरों में बदलने की हर संभव कोशिश करेगी ताकि किसान को आर्थिक लाभ मिले और पर्यावरण भी स्वच्छ रहे । उन्होंने कहा कि “पराली और पानी का प्रबंधन” समय की मांग है। हरियाणा ने पराली जलाने के मामलों को कम करने के लिए सराहनीय कदम उठाए हैं। हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 40 फीसदी की कमी आई है।हरियाणा के मुख्यमंत्री आज मोहाली में “पराली-एक पुंजी ” कुशल पराली प्रबंधन-समय की आवश्यकता’ विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान , केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।
मनोहर लाल ने कहा कि पानी के विवाद को आपसी सहयोग से सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा पहले ही दिल्ली को 250 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध करवा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को पराली-प्रबंधन पर कदम उठाते हुए पर पराली न जलाने पर 1000 रुपये प्रति एकड़ तथा 50 रुपए प्रति क्विंटल इंसेंटिव के रूप में दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए अनेक नए कार्यक्रमों को लागू किया है। पराली का उपयोग बायोमास बिजली परियोजनाओं, उद्योगों, कम्प्रेस बायोगैस संयंत्रों, कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों, ईंट भट्ठों, पैकेजिंग सामग्री, जैव ईंधन आदि में किया जाए ताकि पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि पानीपत में स्थापित होने वाले बायोगैस संयंत्र में 2 लाख मीट्रिक टन पराली की खपत होगी और इस तरह की अन्य योजनाओं पर भी कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली को मशीनों और डीकंपोजर के माध्यम से अवशेषों में बदलकर भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पराली से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो , यह भी हमें सुनिश्चित करना है।मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा में ‘ मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के माध्यम से सरकार फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है, जिससे जल संरक्षण में काफी मदद मिली है और किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों ने कम पानी की खपत वाली फसलों को अपनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए, राज्य सरकार ने एक योजना तैयार की है जिसमें फसल अवशेष प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि पराली की गांठें बनाने के लिए किसानों को पराली प्रबंधन उपकरण पर प्रोत्साहन राशि और सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा, किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरणों पर 50 प्रतिशत अनुदान और कस्टम हायरिंग केंद्रों पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा पराली जलाने के मामलों को 40 प्रतिशत तक कम किया है। किसानों को भी इस मामले में सरकार का सहयोग करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्यावरण की रक्षा के लिए समय की मांग है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि धान के ठूंठ का उचित प्रबंधन प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी है और इसमें सभी की सामूहिक जिम्मेदारी आवश्यक है।इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जयप्रकाश दलाल, हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल सहित विभिन्न हितधारक उपस्थित थे।
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