अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:हड्डियों से जुड़ी समस्या और हड्डियों में फ्रैक्चर के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 20 अक्टूबर 2024 को ‘विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस’ मनाया जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए डॉ. अनुराग अग्रवाल, क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने कहा कि शरीर में प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में हड्डियां नाजुक एवं खोखली हो जाती हैं जिससे जरा सी चोट लग जाने या गिर जाने पर मरीज की हड्डी टूट जाती है और उसे चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ गंभीर मामलों में छींकने-खांसने से भी हड्डियों के टूटने का जोखिम बढ़ सकता है। ज्यादातर फ्रैक्चर कूल्हे और स्पाइन के होते हैं। ओपीडी में रोजाना 15-20 मरीज ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त आ रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज 40 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं जिसमें 80 फ़ीसदी तादाद महिलाओं की देखने को मिलती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है क्योंकि मेनोपॉज (मासिक धर्म का स्थायी रूप से बंद हो जाना) के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल कम हो जाते हैं, जिससे उनकी हडि्डयां कमजोर होने लगती हैं। इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी एवं कम कैल्शियम वाले आहार के कारण महिलाओं को ऑस्टियोपो रोसिस का अधिक खतरा होता है। जिन महिलाओं का हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन (सर्जरी द्वारा गर्भाशय (यूट्रस और सर्विक्स) को निकालने की आसान प्रक्रिया) होता है उन्हें भी ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम बढ़ जाता है।50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की प्रत्येक 3 में से एक महिला और हर 5 में से एक पुरुष को ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका रहती है। 80 प्रतिशत स्पाइनल फ्रैक्चर की वजह ऑस्टियोपोरोसिस है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित 50 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। खोखली हड्डियों के कारण मांसपेशियों की ताकत में कमी,उम्र बढ़ने के साथ होने वाले असंतुलन तथा आंखों की क्षमता में कमी जैसे कारणों से बजुर्ग महिलाओं के गिरने तथा हिप में फ्रैक्चर का खतरा अधिक होता है। गंभीर फ्रैक्चर के कारण चलने-फिरने जैसी गति विधियां अत्यंत सीमित हो जाती हैं और यह स्थिति बुजुर्ग महिलाओं की असामयिक जान जाने का मुख्य कारण भी बन सकती है। इसके अलावा हड्डियों के स्वास्थ्य को अनेक आनुवंशिक कारक भी प्रभावित करते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के स्तर का पता लगाने के लिए डेक्सा स्कैन कराएं।
सलाह
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए मौजूदा जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव करें। प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार लेना चाहिए जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट (दूध, दही), ड्राई फ्रूट्स, दालें, अंडे, मछलियां आदि शामिल हैं।
नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें।
शरीर के वजन को नियंत्रित करें।
प्रतिदिन पैदल चलें क्योंकि यह बोन मास को बढ़ाने में मददगार है।
युवाओं को अपनी दैनिक दिनचर्या में व्यायाम को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस होने की सम्भावना कम हो जाती है।
धूप विटामिन डी का प्राकृतिक साधन है इसलिए कुछ समय के लिए सुबह की पीली धूप अवश्य लें