अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज ‘‘दिल्ली की योगशाला’’ के अंतर्गत दिल्ली में 500 से ज्यादा जगहों पर सरकार की तरफ से निःशुल्क योग सिखाने वाले योग शिक्षकों से बात कर उनका फीडबैक लिया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि योगशाला हमारे लिए साल में एक दिन की औपचारिकता भर नहीं है। हम इसे बहुत बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं। दिल्ली सरकार फ्री में योग की क्लासेज देकर इसे लोगों के बीच में ले जाना चाहती है। इस किस्म का प्रयोग देश में पहली बार हुआ। अभी दिल्ली में 500-600 जगहों पर योग की क्लासेज हो रही हैं। अब इसको हमें पांच से दस हजार क्लासेज तक लेकर जाना है। मैं समझता हूं कि योग की क्लास में आकर लोगों की भड़ास निकल जाती है और लोगों को अच्छा लगता है। वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में जितने लोग सुबह-सुबह योग करते है और कराते हैं, शायद उतने लोग देश के किसी शहर में नहीं करते होंगे। शिक्षकों की ट्रेनिंग में योग और मेडिटेशन के साथ सॉफ्ट स्किल और पर्सनालिटी डेवलपमेंट भी इनके कोर्स का हिस्सा रहा है।
केजरीवाल सरकार दिल्ली में योग और मेडिटेशन को एक जन आंदोलन बनाकर दिल्ली के घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य के साथ ‘दिल्ली की योगशाला’ की शुरुआत की है। मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में 500 से ज्यादा जगहों पर सरकार की तरफ से दिल्लीवासियों को निःशुल्क योग सिखाने वाले योग शिक्षकों के साथ बातकर उनका फीडबैक लिया। योग शिक्षकों से बातचीत के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस नहीं है और फिर भी हम अपनी योगशालाओं का विश्लेषण करने के लिए मिल रहे हैं। इससे यह जाहिर है कि योगशाला हमारे लिए साल में एक दिन की औपचारिकता नहीं है। हम इसे आगे बहुत बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं। आज आप लोगों से फीडबैक लेकर मुझे बहुत अच्छा लगा। सबसे बड़ी बात यह है कि आपके अंदर जो एनर्जी और चेहरे पर जो खुशी नजर आ रही है, इससे मुझे लगता है कि आप लोग जो योग सिखा रहे है, उससे आप लोगों को मजा आ रहा है और यह सफल है। अगर आपको वहां पर काफी कठिनाइयां मिलती और दिक्कते बहुत ज्यादा आ रही होती और लोगों का अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा होता, तो मैं समझता हूं कि आज इस हॉल के अंदर इस किस्म की एनर्जी भी नहीं होती। बहुंत सारे प्रश्न होते कि ये करना चाहिए या वो करना चाहिए। पर एक अच्छी चीज मुझे यह भी नजर आई कि जो भी आप लोगों की ट्रेनिंग हुई। शायद उस ट्रेनिंग में इंटरपर्सनल रिलेशनशिप भी महत्वपूर्ण है, जो सिखाई गई है। क्योंकि कई लोगों ने बताया कि पहले दिन दिक्कत आई। दूसरी पार्टी के लोग आ गए और उन्होंने रोका। लेकिन आपने जिस धैर्य के साथ उस स्थिति को हैंडल किया, वही असली तरीका है। हमें उनसे लड़ना नहीं है, हमे उनका दिल जीतना है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब से योग की कक्षाएं शुरू हुई है, तब से एक अच्छी चीज हुई है और हमारे मन में भी एक शंका की थी कि क्या हम एक मॉडल तैयार कर पाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट करना सबसे मुश्किल होता है। उसे हम लोगों ने सफलतापूर्वक कर लिया। इसके लिए मैं पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूं। पहली बार इस किस्म का प्रयोग किया गया है। दिल्ली सरकार फ्री में योग की क्लासेज करा कर योग को लोगों के बीच में ले जाना चाहती है। इस किस्म का प्रयोग देश में पहली बार दिल्ली में हुआ। यह प्रयोग सफल रहा है और अब अपना एक मॉडल बन गया है। इस मॉडल को अब आगे बढ़ाना है। अभी दिल्ली में 500-600 योग की क्लासेज हो रही है, अब इसको हमें पांच से दस हजार क्लासेज तक लेकर जाना है। इसे लेकर भी हम सबके साथ बैठकर प्लान बनाएंगे। हमारा यह मकसद है कि आज जो संख्या 30 हजार है, यह कम से कम लाखों तक पहुंचे। हमें कोशिश यह करनी है कि दिल्ली की हर कालोनी के अंदर, हर कुछ कदम पर योग की एक क्लास चल रही हो, ताकि आसपास रहने वाले लोगों को पता हो और अगर उनको वहां जाना हो, तो योग की एक क्लास चल रही हो। फिर देखा-देखी लोग आना चालू कर देते है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने योग शिक्षकों से मिले फीडबैक पर कहा कि आपने बताया कि लोगों को शारीरिक और मानसिक लाभ हो रहा है। यह बहुत अच्छी बात है। इसका मतलब है कि आप बहुत अच्छा योग सिखा रहे हैं, तभी लाभ हो रहा है। योग हजारों साल पुरानी विद्या है। भारत ने पूरी दुनिया को दी है। योग विद्या तो अच्छी है ही। लेकिन अगर योग को सिखाने वाला अच्छा न हो, तो फिर फायदा नहीं होता। इसका मतलब आप लोग अच्छा सिखा रहे हैं। अगर आप अच्छा सिखा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि ये सब लोग आपको अच्छी ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। अब योग का अपना एक मॉडल तैयार हो गया है। दिल्ली एक शहरी एरिया है। शहरों में आदमी की जिंदगी बहुत अकेली होती है। टेंशन बहुत होते हैं। बहुत लोग की अपने माता-पिता ने नहीं बनती है। बहू की सास से नहीं बनती है। पड़ोसी की पड़ोसी से नहीं बनती है। बहुत ज्यादा टेंशन होती है। खासकर वृद्ध लोग तो अपने आपको बहुंत अकेला महसूस करते है। क्योंकि बच्चे उनको तवज्जो नहीं देते हैं। आप से मिले अनुभवों से मुझे लग रहा है कि शायद बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनकी जिंदगी में कोई नहीं है, उनको यह योग क्लास मिलती है, जहां पर उन्हें इज्जत मिलती है और जहां आप लोग उनके साथ बैठकर प्यार की बातें करते हो और अपनी बातें कर लेते हो। हंसने का मौका मिलता है और बात करने का मौका मिलता है। दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां आदमी आदमी से बात करने को तरस जाता है। मैं समझता हूं कि यहां आकर लोगों की अपनी भड़ास निकल जाती है और लोगों को यहां आकर अच्छा लगता है। हम सभी बैठकर इस पर चर्चा करेंगे कि कैसे योग को हम हजार गुना और ज्यादा दिल्ली में ले जा सकते हैं। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने एक सपना देखा था कि क्या हम दिल्ली के हर एक आदमी को यह कह सकते हैं कि योग करो और जब वो कहे कि हां मैं योग करने को तैयार हूं, तो कैसे करना है, क्या करना है और क्या नहीं करना है। यह सब कौन गाइड करेगा? क्या हम उसे ट्रेंड प्रशिक्षक के जरिए फ्री में योग करा सकते हैं? अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग करना और योग की बातें कराना अलग बात है और किसी व्यक्ति के घर पर या सामने वाले पार्क में डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ योग करना अलग बात है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सपना देखा कि क्या हम यह कर सकते हैं और आदेश दिया कि दिल्ली में ‘‘दिल्ली की योगशाला’’ शुरू की जाए। दिल्ली के हर नागरिक का आह्वान किया जाए कि आओ योग करते हैं और सिखाएंगे हम। उसकी टीम बनानी शुरू की। मुझे खुशी है कि शायद दिल्ली में जितने लोग सुबह-सुबह योग करते है और कराते हैं, उतने देश के किसी शहर में नहीं करते होंगे। मुख्यमंत्री के सपने को साकार करने वाले सिपाहियों की खास बात यह है कि इन्होंने विशेष प्रशिक्षण लिए है। साथ-साथ इनकी ट्रेनिंग पर हम सबका ज्यादा जोर रहा। क्योंकि इनको आम जनता से संपर्क करना है। इसलिए इनकी ट्रेनिंग में सॉफ्ट स्किल और पर्सनालिटी डेवलपमेंट में भी प्रशिक्षित करने के लिए इनको हिस्सा बनाया गया। इनको योग और मेडिटेशन समेत सबकी ट्रेनिंग दी गई। साथ-साथ सॉफ्ट स्किल और पर्सनालिटी डेवलपमेंट भी नौ महीने के इनके कोर्स का हिस्सा रहा है।
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