अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:एक नई मोडस ऑपरेंडी आयी है जिसमें साइबर क्रिमिनल्स ठगी और एक्सटॉर्शन के लिए पुलिस के आला अधिकारियों, डीसी से लेकर हाईकोर्ट के जस्टिस तक के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। अपराधी अफसरों की फोटो का इस्तेमाल कर फेक व्हाट्सएप प्रोफाइल बना कर मातहत अफसरों से लेकर व्यवसायियों तक को व्हाट्सएप मैसेज भेजकर पैसे की मांग करते हैं । सीनियर आईएएस आईपीएस व अन्य अधिकारियों की फोटो लगाकर होने वाले साइबर अपराध को समझने और रोकने के लिए स्टेट क्राइम ब्रांच नोडल एजेंसी, साइबर क्राइम हरियाणा ने प्रदेश के साइबर नोडल अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। विदित है की इस तरह के होने वाले अपराधों की रोकथाम के व्हाट्सएप के नोडल अधिकारी के साथ हरियाणा पुलिस अधिकारियों की की गत दिनों मीटिंग हुई थी जिसमें कम्पनी से इस नई मोडस ऑपरेंडी पर समाधान के लिए कहा गया था। इसके लिए व्हाट्सएप की तरफ से अब एक नए फीचर को लागू किया गया है जिसमें इस तरह के अपराध की तुरंत रोकथाम की जा सकती है।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की इस मोडस ऑपरेंडी में आईपीएस, आईएएस अधिकारियों की फोटो इंटरनेट से डाउनलोड की जाती है और वर्चुअल वॉट्सऐप नंबर के स्टेटस में डीपी लगा दी जाती है। साइबर अपराधी अक्सर अन्य जूनियर अधिकारियों को मैसेज करते है जिसमें गिफ्ट कार्ड लेने के लिए या मैसेज मं। निजी जरूरतों के लिए पैसे मांगे जाते है, जिसे कुछ दिनों बाद वापस करने के लिए लिखा जाता है। सीनियर अधिकारी की फोटो होने के कारण अक्सर भ्रमित हो जाते है। देश के कई राज्यों में ऐसे अपराध संज्ञान में आये है। स्टेट क्राइम ब्रांच , नोडल एजेंसी, साइबर द्वारा प्रदेश भर के साइबर अधिकारियों और नोडल अफसरों के लिए ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। जिसमें बताया गया की एलइआरएस (लॉ एनफोर्समेंट रिस्पांस सिस्टम) में ऐसे नए फीचर को लागू किया गया है जिसमें यदि कोई ऐसी व्हाट्सप्प प्रोफाइल पुलिस के संज्ञान में आती है, तो उसे तुरंत बंद करवा सकते है। इस कार्यशाला में प्रदेश भर के जिलों से करीब 72 नोडल अधिकारियों व कर्मचारियों ने ऑनलाइन भाग लिया। इस ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन में बताया गया की यदि प्रोफाइल पर किसी अधिकारी की फोटो लगा रखी है तो कैसे अनुसंधान करना है , किस तरह से कंप्लेंट को ट्रेस करना है और कैसे जल्द से जल्द साइबर अपराधी को गिरफ्त में लाना है।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की व्हाट्सएप हैक करने के लिए जिन मोबाइल ऍप्लिकेशन्स का इस्तेमाल किया जाता है, उसकी क्या कार्यप्रणाली है और उसे कैसे रोका जाए। इसके अतिरिक्त नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर आने वाली तकनीकी सवालों का जवाब दिया गया जिससे साइबर अपराध को और बेहतर तरीके से रोका जा सकता है। इस पोर्टल को भारत सरकार द्वारा लागू किया गया है जिसमें पीड़ित को थाने आने की ज़रूरत नहीं है और पोर्टल द्वारा शिकायत थाने स्वत ही पहुँच जाएगी। इसके अतिरिक्त यदि कोई पीड़ित अपनी निजी जानकारी उजागर नहीं करना चाहता है तो उसके लिए भी ऑप्शन है जहाँ वो अपनी जानकारी को गुप्त रख सकता है। इस तरह के साइबर अपराध की मोडस ऑपरेंडी को अपनाना साइबर अपराधियों के लिए आसान है।
चूँकि सभी प्रदेश के सभी अधिकारियों के फोटो व नंबर ऑनलाइन आसानी से मिल जाते है तो साइबर अपराधी झूठी प्रोफाइल बनाकर अन्य अधिकारियों के पास व्हाट्सप्प पर मैसेज भेज देते है। उच्च अधिकारी की फोटो लगे होने के कारण, सामने वाला सवाल नहीं कर पाता है और जैसा कहा जाता है सामने वाला वैसे ही करता है। इस तरह के अपराधों में ध्यान देने की ज़रूरत है की कभी भी जल्दबाज़ी में फैसले ना लें। यदि मैसेज पर कोई कुछ खरीदने को कहता है या अन्य कोई डिमांड करता है तो एक बार फ़ोन पर बात अवश्य करें। इस ट्रेनिंग सेशन में प्रदेश के सभी साइबर नोडल अधिकारियों और साइबर डेस्क पर नियुक्त कर्मचारियों को इस नयी मोडस ऑपरेंडी में बारे में बताया जाए। जिस तरह से साइबर क्राइम अपना रूप बदल रहा है उसी तरह से पुलिस भी हाई टेक हो रही है। भविष्य में भी साइबर कर्मचारियों के लिए इस तरह की ट्रेनिंग का आयोजन किया जाता रहेगा। आम जनता से भी कहा जाता है की यदि कोई अनजान नंबर से कोई मैसेज आता है तो जांच पड़ताल अवश्य करें। किसी की बातों में ना आएं। साइबर अपराध होने पर अपनी शिकायत 1930 पर ज़रूर दें।
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