विनय सिंह,नयी दिल्ली : राज्यसभा में आज अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने तथा नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम की अनुशंसा किए जाने की मांग की। बजट सत्र के पहले चरण के दूसरे दिन आज, उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यनारायण ने कहा कि जयललिता ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए राज्य के हर वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने कहा कि जयललिता ने महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष योजनाएं चलाईं, गरीबों के लिए नि:शुल्क अनाज की व्यवस्था की और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
उन्होंने कहा कि जयललिता की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन के बाद उनके विरोधियों तक ने कहा कि वह कभी नहीं चाहते थे जयललिता का देहांत हो। उनसे लगाव की वजह से ही राज्य की जनता उन्हें ‘‘अम्मा’’ कहती थी।
विजिला ने कहा कि लोगों के कल्याण के लिए नि:स्वार्थ भाव से किए गए कार्यो को देखते हुए जयललिता को मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाना चाहिए। संसद भवन परिसर में उनकी आदमकद कांस्य प्रतिमा लगाई जानी चाहिए और नोबेल पुरस्कार के लिए भी उनके नाम की अनुशंसा की जानी चाहिए।
अन्नाद्रमुक के अन्य सदस्यों ने उनकी इस मांग से स्वयं को संबद्ध किया।
शून्यकाल के दौरान ही माकपा के तपन कुमार सेन ने मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिवों की कल से शुरू होने जा रहे देशव्यापी हड़ताल का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों के विक्रय मूल्य को उत्पादन की लागत के आधार पर नियंत्रित करने की मांग कर रहे हैं। ये मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव चाहते हैं कि दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों पर एक्साइज ड्यूटी, वाणिज्यिक कर और जीएसटी को वापस लिया जाए क्योंकि इनकी वजह से दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के मूल्य में वृद्धि हो जाती है।
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