मेरा एक सपना है कि मैं बॉलीवुड में अभिनय के क्षेत्र में कुछ ऐसा करूं कि मेरा भी नाम अच्छे अभिनेताओं में शुमार हो जाए। लोग बरसों बरस मेरे अभिनय को याद रखें। अभिनय की राह पर कदम रखे सालों बीत गए मगर मुझे लगता है कि यह तो शुरुआत है, अभी मंजिल बहुत दूर है, आहिस्ते-आहिस्ते कदम आगे बढ़ाना है, ताकि बीच मोड़ पर फिसल न जाऊं। मेरे चाहने वालों की दुआएं साथ हैं, जो सफर शुरू हुआ है वह कभी खत्म नहीं होने वाला, इसलिए इस सफर पर चलते ही जाना है। उम्मीद है जिस मंजिल को पाने की चाह बरसों से मेरे मन में है, वह अवश्य मिलेगी। यह कहना है फिल्म नगरी मुंबई बॉलीवुड में अपनी खास पहचान बना रहे अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के भगवान तिवारी का। नईदुनिया से खास बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष भरे दिनों को याद करते हुए नए उभरते कलाकारों को फिल्म नगरी में आने का सुझाव भी दिया।
अभिनय के जुनून ने पहले दिल्ली और फिर मुंबई पहुंचाया
भगवान तिवारी का कहना है कि मुझे स्कूल टाइम से ही अभिनय का शौक था । हमेशा सोचा करता था कि मैं भी फिल्मों में काम करूं, लेकिन छत्तीसगढ़ से गिने-चुने लोगों को ही मुंबई में पहचान मिल पाई है, यह सोचकर लगता था कि शायद ही कामयाबी मिल पाएगी। अभिनय के जुनून ने दिल्ली पहुंचा दिया जहां थियेटरों में अपने आपको निखारने लगा। अनेक नाटकों में अभिनय का सिलसिला 9 साल तक चला। मेरे गुरु रॉबिन दास से आगे बढ़ने का हौसला मिलता रहा। 2001 में मुंबई के लिए ट्रेन पकड़ी। फिल्मी दुनिया में कोई बैक ग्राउंड ना होने से संघर्षों का दौर चलता रहा। स्टूडियो दर स्टूडियो चक्कर लगाता, ऑडिशन देता मगर काम नहीं मिल रहा था। भूखों रहने की नौबत आने के बाद भी काम पाने की आस नहीं टूटी। इस बीच गुजारे के लिए नौकरी भी की। छोटे-छोटे रोल मिलने लगे। आखिरकार मेहनत रंग लाई और फिल्म ‘मसान’ में इंस्पेक्टर मिश्रा के रोल में तारीफें मिलीं। फिल्म फेस्टिवल में भी सराहना मिली। एक बार जो लय पकड़ी तो फिर काम मिलता गया।
रईस में इंस्पेक्टर के किरदार से मिली सराहना
मैंने ‘ए फ्लैट, कमांडो, 21 तोपों की सलामी, ए वेडनसडे, अन्ना किसान बाबूराव हजारे, रणभूमि, चैम्प्स’आदि फिल्में कीं। टीवी सीरियल गुलाम भी लोग पसंद कर रहे हैं। अभी हाल ही में शाहरुख खान के साथ ‘रईस’ में इंस्पेक्टर की भूमिका भी लोगों ने पसंद की। सशक्त अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्धिकी के साथ शीघ्र ही ‘बाबू मोशाय बंदूक बाज’ आने वाली है, जिसका निर्देशन कुशान नंदी ने किया है।
प्रतिभा और संघर्ष का जज्बा हो तभी मुंबई आएं
मेरी छत्तीसगढ़ के युवाओं से अपील है कि वे कोई गलतफहमी पालकर मुंबई का रुख ना करें। पहले अपने आपको जांचे, परखें कि वाकई उनमें अभिनय क्षमता है या नहीं। थियेटर में अभिनय निखारें और संघर्ष का जज्बा हो तभी मुंबई आएं। मुंबई नगरी में संघर्ष, प्रतिभा और भाग्य के मेलजोल से ही अवसर मिलता है।
युवाओं के लिए कुछ करने की चाह
जब कभी मुंबई से छत्तीसगढ़ आने का अवसर मिलता है तो कुछ दिनों के लिए ही सही, थियेटर कार्यशाला करके युवाओं को सिखाने और कॉन्फिडेंस पैदा करने की कोशिश करता हूं। छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत अभियान से जुड़कर लोगों को प्रेरित करने का प्रयास कर रहा हूं। इसके लिए मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया है।
फिल्म विकास निगम बने तो छॉलीवुड भी करेगा तरक्की
छत्तीसगढ़ में फिल्म विकास निगम की जो मांग उठ रही है, मैं भी उसके पक्ष में हूं। छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री (छॉलीवुड) को निश्चित ही फायदा होगा। नए लोगों को भी एक प्लेटफॉर्म मिलेगा और उनकी अभिनय प्रतिभा निखरकर सामने आएगी।